संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के नाट्यशाला में तीन दशक बाद सोमवार को कुलपति प्रो हरेराम त्रिपाठी के अध्यक्षता में "अभिज्ञान शाकुंलतम्ं" संस्कृत-साहित्य के कालजयी नाटक का मंचन हुआ । प्रणेता महाकवि कालीदास रचित महाकाव्य पर आधारित नाटक में शकुंतला-दुष्यंत की प्रेमकथा दिखी ।विश्वविद्यालय के 66वें स्थापनोत्सव के उपलक्ष्य में सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय एवं उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान के संयुक्त तत्वावधान में जयपुर के "युव तरंग संस्कृत नाट्यदल" के कलाकारों की प्रतिभा ने खूब तालियां बटोरी । उद्घाटन सत्र के अतिथिगण बतौर सारस्वत अतिथि काशी जोन के पुलिस उपायुक्त रामसेवक गौतम ने कहा कि यह नाटक भारतीय संस्कृति के दर्शन को सुशोभित करता है।इसका मंचन अविस्मरणीय है। केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय,भोपाल परिसर के निदेशक एवं नाटक के निर्देशक प्रो रमाकान्त पान्डेय ने सम्पूर्ण नाटक पर प्रकाश डाला।
मंचस्थ अतिथियों के द्वारा दीप प्रज्जवलन एवं माँ सरस्वती के प्रतिमा पर माल्यार्पण किया गया।कुलपति प्रो हरेराम त्रिपाठी के द्वारा मंचस्थ अतिथियों एवं कलाकारों का माल्यार्पण,अँगवस्त्रम एवं स्मृति चिन्ह देकर स्वागत और अभिनंदन किया गया।समस्त कार्यक्रम का संचालन प्रो हरिप्रसाद अधिकारी ने किया। इस दौरान पुलिस उपायुक्त रामसेवक गौतम एवं उनकी धर्मपत्नी,प्रो कृष्ण कान्त शर्मा,प्रो रामकिशोर त्रिपाठी,प्रो रामपूजन पान्डेय,प्रो कमलाकान्त त्रिपाठी आदि लोग शामिल रहे।