नवरात्रि के आठवें दिन माता रानी के 8वें स्वरूप महागौरी की पूजा की जाती है। पौराणिक कथाओं के मुताबिक मां महागौरी ने भगवान शिव की प्राप्ति के लिए कठोर तपस्या की थीं. जिस कारण इनका शरीर काला पड़ गया।जब भगवान शिव ने मां महागौरी को दर्शन दिया तब उनकी कृपा से इनका शरीर गौर वर्ण का हो गया।जिसके बाद इनका नाम गौरी पड़ा।
काशी में इस दिन माता अन्नपूर्णा का दर्शन पूजन होता है जिनका मंदिर काशी विश्वनाथ मंदिर के समक्ष स्थित है। इस दौरान भोर से ही भक्तों के मंदिर पहुंचने का क्रम प्रारंभ हो गया। श्रद्धालुओं ने मां को फल फूल में स्थान इत्यादि अर्पित कर जीवन मंगल की कामना की वह इस अवसर पर महिलाओं द्वारा मंदिर में परिक्रमा भी की गई।
वहीं चैत्र नवरात्र में मां गौरी के दर्शन पूजन का विधान है। मां गौरी के दर्शन पूजन के क्रम में आठवें दिन मां मंगला गौरी की उपासना की जाती है। देवी मंगला गौरी का मंदिर पंचगंगा घाट क्षेत्र में है। मंगला गौरी मंदिर के महंत नारायण गुरु ने बताया कि यहां मंगला गौरी माता का मंदिर भगवान सूर्य द्वारा स्थापित किया गया था। यह मंदिर काशी के आनंदवन और कटिवन की चोटी पर स्थापित है। मां मंगला गौरी सौभाय और मंगल की देवी हैं। व्रती महिलाएं यहां नवरात्र में 9 दिन दर्शन को आती हैं। माता का दर्शन साल भर सौभाग्य कामना और मंगला कामना के लिए होता हैं यहां सभी की मनोकामना पूरी होती है।
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