जी-20 के अस्तित्व से हजारों साल पहले 'वसुधैव कुटुंबकम' भारत का आदर्श रहा है। आज भारत को इस अंतरराष्ट्रीय संगठन के अध्यक्ष के रूप में जो सम्मान मिला है, वह एक अवसर होने के साथ भारत और भारतीयता को वैश्विक मान्यता है। अंतर्राष्ट्रीय सहयोग परिषद, जय श्रीकृष्णा फाउंडेशन, सीनियर सिटीजन ट्रस्ट ऑफ इंडिया, शिल्पायन, काशी- वाराणसी विरासत फाउंडेशन, रोटरी वाराणसी एवं नागरी नाटक मंडली ट्रस्ट की तरफ से आयोजित संगोष्ठी में वक्ताओं ने ये बाते कहीं।
प्रो. निर्मला एस. मौर्य ने जी-20 के महत्व पर प्रकाश डाला। अंतरराष्ट्रीय सहयोग परिषद दिल्ली के प्रतिनिधि गोपाल अरोड़ा ने जी-20 के उद्भव, विकास और भारत के वर्तमान अमृत काल में उसके महत्व की चर्चा की। शरद कुमार त्रिपाठी एडवोकेट ने सभी विद्वतजन को काशी-वाराणसी विरासत फाउंडेशन के साहित्य महोत्सव के प्रतीक चिह्न भेंट किए। कार्यक्रम में डॉ. संजय मेहता, संजीव श्रीवास्तव, चंद्रशेखर कपूर, संजीव अग्रवाल, देवाशीष डे, आशीष बसाक, आदि मौजूद रहे।
Tags
Trending