बारह स्कन्द, 335 अध्याय एवं 18,000 श्लोकों से समृद्ध श्रीमद्भागवत कथा के आदिवक्ता भगवान विष्णु और आदि श्रोता ब्रह्माजी हैं। पांच ज्ञानेंद्रियां, पांच कर्मेद्रियां और मन, इन्हें एकाग्र कर भगवत कथा सुनने से भगवान के सभी अंगों के दर्शन का लाभ होता है। चरण दर्शन से पाप, रज से अज्ञान, जांघ से रोग, नाभि से व्याधि, बांह से भय, कंठ से शोक, मुख और मुकुट दर्शन मुक्तिदायक होता है। ये बातें विदुषी लक्ष्मीमणि शास्त्री ने कहीं।
वह श्रीकृष्ण उत्सव सेवा समिति एवं वाराणसी केराना व्यापार समिति की ओर से रामकटोरा स्थित चिन्तामणि बाग में चल रही भागवत कथा के प्रवचन सत्र में बोल रही थीं। उन्होंने कहा कि भगवान हमेशा हमारे पास, हमारे शरीर में व्याप्त हैं। प्रवचन से पूर्व मुख्य यजमान गणेश प्रसाद कसेरा व सुशीला देवी सहित अशोक कसेरा एवं कसेरा महासभा के सदस्यों ने आरती की।