नगर में शुक्रवार को जगह जगह जलेबे की दुकाने सजी जहाँ शाम होते होते लोगो की भारी भीड़ उमड़ पड़ी। जलेबे की खुशबू से हर क्षेत्र गमक गया और लोगो ने जमकर इसका स्वाद चखा। जलेबा खाने की परंपरा सदियों पुरानी है। कजरी तीज के एक दिन पूर्व जलेबा खाया जाता है। सनातन धर्म में कजरी तीज का व्रत सुहागिन महिलाओं के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है। यह पर्व हर वर्ष भाद्रमास के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है। इस बार यह व्रत 3 सितंबर को मनाया जाना है।
इस व्रत को करने से सुहागिनों को पति की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि-आरोग्य और संतान सुख की प्राप्ति होती है। इस दिन सुहागिनें निर्जलाव्रत रखकर भगवान शिव और माता पार्वती की आराधना करती है। इससे माता पार्वती और भगवान शिव प्रसन्न होकर सुहागिनों की मनोकामना को पूर्ण करते हैं। कजरी तीज का व्रत रखने की पूर्व संध्या पर जलेबा खाया जाता है। इसके बाद रतजग्गा किया जाता है। इस दौरान महिलाएं कजरी गाती है। ढोलक-झाल संग महिलाएं एकजुट होकर पूरी रात कजरी गाती है। फिर अगले दिन सुबह व्रत रखती हैं।
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