अयोध्या में श्री राम लला मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम के पूर्व को बीएचयू भारत कला भवन के केन्द्रीय कक्ष में "रामायण" पर आधारित एक अस्थायी प्रदर्शनी का आयोजन किया गया। इस प्रदर्शनी में संग्रहालय के संग्रहीत कलाकृतियों में से रामायण से संबंधित। विशिष्ट कलाकृतियों को प्रदर्शित किया गया है। राम भारतीय युवाओं के आदर्श हैं, इस प्रदर्शनी के माध्यम से आम जनमानस को राम के आदर्शों को उद्घाटित करने का प्रयास किया गया है। इस प्रदर्शनी की परिकल्पना उपनिदेशक, भारत कला भवन, डॉ० जसमिन्दर कौर द्वारा की गयी।
इस प्रदर्शनी का उद्घाटन पुलकित गर्ग, उपाध्यक्ष, वाराणसी विकास प्राधिकरण, वाराणसी के द्वारा किया गया। रामायण पर आधारित इस प्रदर्शनी की यात्रा गोस्वामी तुलसीदास जी द्वारा रचित "रामचरित मानस" की पाण्डुलिपि से प्रारम्भ होती है, "इस प्रदर्शनी के द्वारा उत्तर भारत तथा दक्षिण भारत के रामायण से सम्बन्धित कलाकृतियों के द्वारा विशिष्ट सन्र्दभों को उद्भव करने का प्रयास किया गया है। इनमें विशिष्ट रूप से दक्षिण भारत के तंजौर शैली में निर्मित राम-रावण के मध्य युद्ध वाली कलाकृति प्रमुख हैं। उत्तर भारत की राम से सम्बन्धित विशिष्ट कलाकृतियों में पट्नीमल रामायण प्रमुख है। यह कलाकृति जयपुर-अवध शती में बनी हुई है। पटुनीमल बनारस के समृद्ध व्यापारी थे। जिन्हें बनारस दरबार द्वारा संरक्षण दिया गया था। इस प्रदर्शनी के अन्तर्गत "राम के वैदिक सन्दर्भ" एक विमर्श पर आनलाइन व्याख्यान प्रो० दीनबन्धु पाण्डेय द्वारा दिया गया।