रंगभरी एकादशी के उत्सव में बंगीय संस्कृति की दिखेगी झलक, बाबा विश्वनाथ और माता पार्वती के सिर पर बंगीय शैली का देवकिरीट होगा सुशोभित

काशी में 20 मार्च को होने वाले रंगभरी एकादशी के उत्सव में बंगीय संस्कृति की झलक देखने को मिलेगी। इस वर्ष शिव और गौरा अपने शीर्ष पर बंगीय देवकिरीट धारण कर भक्तों को दर्शन देंगे। 

गौरा के गौना के मौके पर निकाली जाने वाली पालकी यात्रा के दौरान बाबा विश्वनाथ और माता पार्वती के सिर पर बंगीय शैली का देवकिरीट सुशोभित होगा।यह देवकिरीट अन्नपूर्णा मंदिर के महंत शंकरपुरी महाराज ने खासतौर पर बंगाल से बनवा कर मंगाया है। पूर्व महंत डा. कुलपति तिवारी के पुत्र पं. वाचस्पति तिवारी ने बताया बाबा विश्वनाथ और माता गौरा के गौना के समय पहली बार बंगाल के कारीगरों द्वारा बनाया गया ‘देवकिरीट’ शिव-पार्वती धारण करेंगे। 

काशीपुरी पीठाधीश्वरी मां अन्नपूर्णा मंदिर के मंहत शंकर पुरी महाराज ने शिव-पार्वती के लिए विशेष रूप से बनवाया गया देवकिरीट शिवांजलि के संयोजक संजीव रत्न मिश्र को सौंपा। पं. वाचस्पति ने बताया इस देवकिरीट’ की बनारसी जरी से सज्जा नारियल बाजार के व्यापारी नंदलाल अरोड़ा करेंगे। नंदलाल अरोड़ा का परिवार पिछली तीन पीढ़ियों से बाबा


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