चैत्र नवरात्रि का छठवें मां कात्यायनी का पूजन विधि-विधान से किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि मां के चरणों में हल्दी या दही चढ़ाने से अच्छे वर की प्राप्ति होती है। वाराणसी के पक्का महल स्थित सिद्धेश्वरी में मां कात्यायनी देवी का मंदिर स्थापित है। यहां सुबह से ही भक्त माता के चरणों में शीश नवाने पहुंचे। मंदिर परिसर में भगवान गणेश, शनि महाराज, शुक्र और मंगल जैसे ग्रहों की शांति के लिए पूजन-पाठ भी किया जाता है। कात्यायनी देवी मंदिर के महंत ने बताया कि नवरात्र के छठवें दिन मां कात्यायनी का पूजन होता है।
भगवती कात्यायनी के दर्शन करने से लोगों की मनोकामना पूरी होती है। मान्यता है कि कुंवारी कन्याएं मां को 40 दिन तक हल्दी का लेपन लगाती हैं तो उन्हें वर की प्राप्ति होती है। लड़के भी मां के चरणों में हल्दी लेपन करते हैं तो अच्छी कन्या मिलती है। पंडित शिवशंकर मिश्रा ने बताया कि मां कात्यायनी की चार भुजाएं हैं, जिसमें वे कमल, तलवार आदि धारण करती हैं। कात्यायन ऋषि ने मां दुर्गा को अपने तप से प्रसन्न किया था, देवी ने जब उनको दर्शन देकर आशीर्वाद मांगने को कहा तो उन्होंने उनको अपनी पुत्री के रूप में पाने की इच्छा प्रकट की।इसके बाद मां दुर्गा उनके घर पुत्री के रूप में प्रकट हुईं, जिनका नाम कात्यायनी पड़ा। वे अपने भक्तों को अभय प्रदान करती हैं। नवरात्रि में मां दुर्गा के इसी स्वरुप का पूजन किया जाता है।