काशी को देश की सांस्कृतिक राजधानी भी कहा जाता है। देश की इस सांस्कृतिक राजधानी के हनुमत दरबार में संगीत का सबसे बड़ा महाकुंभ लगा हुआ हैं जहां गायन, वादन, नृत्य से कलाकर श्रोताओं को झूमा रहे हैं। इस आयोजन में देश का हर कलाकार अपनी बैटरी चार्ज करने के लिए आता हैं उसे लगता है कि अगर वह हनुमान जी के दरबार में प्रस्तुति दे दी तो वह सालाना परीक्षा में पास हो जाता हैं।
संकट मोचन संगीत समारोह की पांचवीं निशा की शुरुआत जयपुर घराने के हरीश गंगानी के कथक नृत्य से हुई। इस समारोह में हनुमत दरबार में यह उनकी पहली हाजिरी रही। हरीश ने राजस्थान की पारंपरिक रचना ‘रंगीला शम्भो गौरा ले पधारो प्यारा पावड़ा’ रचना शिव वंदना के बाद शुद्ध नृत्य प्रस्तुत किया। तीन ताल में थाट, उठान, तोड़ा, टुकड़ा,तिहाई,परन, चक्करदार परन पर नृत्य की अदाएं दिखाईं। तबला और घुंघरू की जुगलबंदी भी दर्शकों को पसंद आई। पैरों के काम के लिए उन्हें कई बार तालियां मिलीं। गोस्वामी तुलसीदास की रचना ‘भरत भाई कपि से उरिन हम नाहिं’ पर उन्होंने भक्त हनुमान के विविध भाव दिखाए। उनके साथ सारंगी पर गौरी बनर्जी सती, तबला पर पं.शुभ महाराज, पखावज पर आशीष गंगानी ने संगत की। गायन एवं हारमोनियम पर विनोद गंगानी रहे।
दूसरी प्रस्तुति लेकर मंचासीन हुए पं. उल्लहास कसालकर राग तिलक कामोद की अवतारणा की। आलापचारी से लेकर तानदारी तक लाजवाब रही। उन्होंने झूमरा ताल में विलंबित रचना, झप ताल में छोटा ख्याल और द्रुत ख्याल 12 मात्रा में प्रस्तुत किए। ‘तालयोगी’ पं. सुरेश तलवरकर पखावज के अंदाज में तबला बजाया। बाद की प्रस्तुति देने वाले कलाकार के समय से परिसर में न पहुंच पाने से समय काटने के लिए उन्होंने राग सोहनी में दो पारंपरिक बंदिशें सुनाईं। उनके साथ तानपुरा संगत प्रो. ओजेश प्रसाद सिंह एवं पूर्णेश भागवत, हारमोनियम पर अमैया बिसु ने संगत की।तीसरी प्रस्तुति में मैहर घराने के राकेश चौरसिया ने बांसुरी पर राग जोग की अवतारणा की। पंडित हरिप्रसाद चौरसिया के भतीजे राकेश ने इस वर्ष प्रसिद्ध ग्रैमी अवार्ड प्राप्त किया। उन्होंने इस राग में आलाप जोड़ व झाला में बेहतरीन रूप से अपने घराने की विशेषताओं को तराशा। उनके साथ बनारस घराने के संजू सहाय ने तबले पर संगत कर अच्छा तालमेल बैठाया।
छोटे हनुमान के स्वरूप को देखने की भीड़ बढ़ी
62 सेकेंड में बनाई 4 एमएम लंबे और 4 एमएम चौड़े हनुमान जी सबसे छोटी पेंटिंग लोगों को खुब आकर्षित कर रही हैं। इसे बनाने वाले सतीश कुमार ने बताया कि हनुमान जी की यह पेंटिंग वाराणसी के संकट मोचन बाबा का प्रतिरूप है। अक्सर ही वो मन्दिर में दर्शन को जाते है और उन्होंने संकट मोचन बाबा का ध्यान कर उनकी यह सबसे छोटी पेंटिंग को तैयार की है।
सतीश कुमार ने बताया कि हनुमान जी की यह पेंटिंग वाराणसी के संकट मोचन बाबा का प्रतिरूप है। अक्सर ही वो मन्दिर में दर्शन को जाते हैं और उन्होंने संकट मोचन बाबा का ध्यान कर उनकी यह सबसे छोटी पेंटिंग को तैयार किया है। 4 एमएम (MM) लंबे और 4 एमएम चौड़े इस पेंटिंग को तैयार करने में सिर्फ 62 सेकेंड का समय लगा है।