बरेका प्रेक्षागृह में ब्रह्माकुमारी द्वारा आध्यात्मिक मोटिवेशनल कार्यक्रम मे कर्मियों को संतुलित जीवन शैली के संबंध में दी गयी जानकारी

बरेका के प्रेक्षागृह में ब्रह्मकुमारी द्वारा बरेका में कार्यरत अधिकारियों एवं कर्मचारियों के आंतरिक सशक्तिकरण, सकारात्मक और संतुलित जीवन शैली एवं कार्यकुशलता में विकास के लिए एक आध्यात्मिक मोटिवेशनल कार्यक्रम का सफल आयोजन किया गया। 

इस कार्यक्रम के मुख्य प्रवक्ता मुंबई विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर एवं ख्याति प्राप्त मोटिवेशनल स्पीकर बी. के. डॉक्टर ई. वी. स्वामीनाथन रहे। इन्होंने कार्य एवं परिवार के मध्य  सामंजस्य एवं तनाव मुक्त रहने  अनेक टिप्स दिए।डॉक्टर स्वामीनाथन के हास्य प्रबंधन एवं तनाव मुक्ति मोटिवेशनल स्पीच ने कर्मचारियों एवं अधिकारियों को अत्यंत प्रभावित किया।मुख्य अतिथि एस. के. श्रीवास्तव, प्रमुख मुख्य विद्युत इंजीनियर, बरेका ने अपने उद्बोधन में कहा कि मैं विशेष रूप से आज के प्रमुख वक्ता डॉक्टर स्वामीनाथन जी के प्रति कृतज्ञता प्रकट करता हूं, कि आपने इतने सधे हुए और रोचक तरीके से तनाव से मुक्ति के लिए हम सभी का मार्गदर्शन किया। हमारा अनुभव है,कि आज का जीवन काफी अस्त-व्यस्त और जटिलताओं से भरा हुआ है। 

कार्यालय से लेकर घर तक आदमी अनेक चुनौतियों से जूझ रहा है। कार्यालय में कार्य का दबाव है तो घर में अकेलेपन की पीड़ा। इन सबके बीच हमें अपने विचार में परिवर्तन लाकर और जीने की शैली में बदलाव कर जीवन के प्रति सकारात्मक सोच को लाना पड़ेगा। आज का व्याख्यान बरेका के कर्मचारियों और अधिकारियों के लिए बहुत ही लाभकारी एवं कारगर होगा।इसके पूर्व प्रमुख मुख्य कार्मिक अधिकारी जनार्दन सिंह ने अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि आज हमारे जीवन शैली में अत्यंत जटिलताएं हैं। अनियमित दिनचर्या ने हमारे शरीर को तो प्रभावित किया ही है, साथ ही हमारे मन को भी दुष्प्रभावित कर रहा है। आधुनिक सभ्यता में एक तरफ हमें नित्य नवीन सुविधाएं मिलती जा रही हैं और हम उनका उपयोग कर रहे हैं, दूसरी तरफ हम अनेक शारीरिक और मानसिक रोगों की गिरफ्त में भी आते जा रहे हैं। इनसे मुक्ति का यही उपाय है, कि हम अपने कार्य के साथ-साथ आनंद परक तनाव मुक्त जीवन शैली को भी अपनाएं और इसके प्रबंधन की कला को सीखें।कार्यक्रम में बरेका के अधिकारियों एवं कर्मचारियों की बड़ी संख्या में सहभागिता रही। कार्यक्रम का सुरुचि पूर्ण संचालन श्रावणी घोष ने किया।

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