पितृ विसर्जन पर काशी के गंगा घाटों पर पितरो के निमित्त श्राद्ध कर्म और तर्पण कर पितरों को दी गई विदाई

अपने पितरों के निमित्त किए जाने वाले श्राद्ध कर्म और तर्पण के 15 दिवसीय पखवाड़े का बुधवार को समापन हुआ। इस दौरान काशी के गंगा घाट तो से लेकर पिशाच मोचन कुंड पर पिंडदान श्राद्ध कर्म करने वालों की भीड़ रही। काशी मोक्ष की नगरी कही जाती है। पिशाच मोचन कुंड की मान्यता है कि यहां त्रिपिंडी श्राद्ध करने से पितरों को प्रेत बाधा और अकाल मृत्यु से मरने के बाद व्याधियों से मुक्ति मिल जाती है। इसीलिये पितृ पक्ष के दिनों मे पिशाच मोचन कुंड पर लोगों की भारी भीड़ उमड़ती है। श्राद्ध की इस विधि और पिशाच मोचन तीर्थस्थली का वर्णन गरुण पुराण में भी मिलता है।

आज भाद्रपद अमावस्या तिथि पर इस 15 दिवसीय पखवाड़े का समापन हुआ जैसे पितृ विसर्जन के नाम से भी जाना जाता है आज के दिन काफी संख्या में लोग अपने पितरों की आत्मा की शांति है तो घाटों पर पहुंचकर श्राद्ध कर्म करते हैं साह ही पिंडदान और तर्पण किया जाता है।



मोक्ष नगरी काशी में भोर से ही लोगों के घाटों पर पहुंचने का क्रम प्रारंभ हो गया और देखते ही देखते घाट की सीढ़ियां लोगों से पट गई और जगह-जगह लोक पिंडदान तर्पण करते दिखाई दिए। सभी ने श्राद्ध कर्म करते हुए अपने पितरों से परिवार के सुख समृद्धि की कामना की।

इसी कड़ी मे शूलटंकेश्वर् घाट पर पितृ विसर्जन करने हजारों की संख्या में लोग पहुँचे और अपने पितरों के निमित्त श्राद्ध कर्म और तर्पण किया। ऐसी मान्यता है कि इन 15 दिनों के पखवाड़े में पितृलोक धरती पर आते हैं । पितृ विसर्जन के दिन उन्हे विदाई दी जाती है । पूरे पितृ पक्ष में पितरों को याद न किया गया हो तो अमावस्या को उन्हें याद करके दान करने और गरीबों को भोजन कराने से पितरों को शांति मिलती है।



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