मिथिला संस्कृति के प्रतीक हिन्दी व मैथिली भाषा के प्रथम कवि, कवि कोकिल महाकवि विद्यापति महोत्सव ख्यात हड्डी रोग विशेषज्ञ डा आलोक चौधरी की अध्यक्षता में नागरी प्रचारिणी सभा, काशी में धूमधाम से सम्पन्न हुआ।दुसरे दिन महोत्सव का शुभारंभ दीप प्रज्ज्वलन और महाकवि विद्यापति के चित्र पर माल्यार्पण करके हुए एमएलसी आशुतोष सिन्हा ने किया|संस्था के अध्यक्ष निरसन कुमार झा, एडवोकेट ने एमएलसी आशुतोष सिन्हा को मिथिला संस्कृति के प्रतीक पाग, दुपट्टा, रूद्राक्ष की माला और महाकवि विद्यापति का चित्र भेंट कर सम्मानित किया।
मुख्य अतिथि पद से बोलते हुए स्नातक एमएलसी आशुतोष सिन्हा ने कहा कि' महाकवि विद्यापति हिन्दी साहित्य के प्रथम कवि होने के साथ साथ मैथिली भाषा साहित्य के भी प्रथम कवि थे। मैथिली काव्य के माध्यम से विद्यापति ने मैथिल समाज को जोड़ने का काम किया। विद्यापति जी का कव्य मिथिला के घर घर में गाया व सुनाया जाता है। समारोह की अध्यक्षता करते हुए हड्डी रोग विशेषज्ञ आलोक चौधरी ने कहा कि सुदूर मिथिला (बिहार) से आकर काशी में विद्यापति महोत्सव के माध्यम से अपनी कला, संस्कृति को बनाये रखना एक महान् कार्य है। समारोह के अन्त में सुप्रसिद्ध पार्श्व गायक विजय कपूर ने समारोह में उपस्थित लोगों को विद्यापति जी द्वारा लिखे गीतों को सुनाया। दरभंगा किनारा घराने की लोकप्रिय गायिका डा शिप्रा कुमारी ने भी गीत सुनाए। विशिष्ट अतिथि के रूप में बार कौंसिल उत्तर प्रदेश के सदस्य विनोद कुमार पाण्डेय, के टीवी के प्रबन्ध निदेशक पंकज सिंह डबल्यू की गरिमामयी उपस्थित रही|समारोह का संचालन व संयोजन गौतम कुमार झा ने किया स्वागत निरसन कुमार झा एडवोकेट ने किया। धन्यवाद ज्ञापन सचिव दास पुष्कर ने किया। समारोह में मुख्य रूप से सुधीर चौधरी,भोगेन्द्र झा,आरुणी चन्द्र सिन्हा,भारतेंदु जी के वंशज दीपेश चन्द चौधरी आदि लोग उपस्थित थे।