पूर्वांचल एवं दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगमों के निजीकरण के विरोध में विशाल जनसभा आयोजित डीजीएस गेस्ट हाउस, मेजारोड में आयोजित एक विशाल जनसभा में विद्युत संविदा मजदूर संगठन उत्तर प्रदेश ने पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगमों के निजीकरण के विरोध में अपनी आवाज बुलंद की। इस जनसभा में प्रयागराज, मिर्जापुर और प्रतापगढ़ जिलों के संगठन पदाधिकारियों और सदस्यों ने बड़ी संख्या में भाग लिया और निजीकरण के विरोध में जनसंपर्क अभियान को तेज करने का संकल्प लिया।संगठन के प्रदेश प्रभारी पुनीत राय ने अपने संबोधन में कहा कि पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगमों में घाटे की स्थिति प्रबंधन और इंजीनियरों की लापरवाही का परिणाम है निजीकरण के नाम पर इन निगमों को निजी हाथों में सौंपना जनता,किसान, नौजवानों और छोटे व्यापारियों के साथ बड़ा अन्याय होगा इससे न केवल बिजली महंगी होगी,बल्कि रोजगार के अवसर भी समाप्त हो जाएंगे*।
सभा में प्रमुख पदाधिकारियों में संदीप कुमार,वेद प्रकाश राय,राहुल कुमार,उदय प्रताप सिंह, संजय सिंह,सरफराज,अब्दुल मन्नान, विजय नारायण हिटलर,योगेंद्र सिंह, आशीष सिंह, प्रियम मिश्रा, राकेश गुप्ता, ननकेश यादव, धीरज सिंह, सौरभ चौधरी, सुनील शास्त्री और सुरेंद्र शर्मा शामिल थे। सभी ने निजीकरण के दुष्परिणामों को लेकर अपने विचार रखे।पूर्वांचल महामंत्री वेद प्रकाश राय ने सभा को संबोधित करते हुए कहा, बिजली कोई राजशाही विलासिता की वस्तु नहीं,बल्कि आम आदमी की बुनियादी आवश्यकता है। निजीकरण के बाद बिजली महंगी हो जाएगी, जिससे किसानों, मजदूरों और छोटे व्यापारियों पर भारी बोझ पड़ेगा। निजी कंपनियों का उद्देश्य केवल मुनाफा कमाना है,जबकि आम उपभोक्ताओं की समस्याओं से उनका कोई सरोकार नहीं है। यह कदम रोजगार के अवसरों को भी खत्म कर देगा।संगठन ने घोषणा की कि वह सरकार द्वारा लागू ओटीएस (वन टाइम सेटलमेंट) योजना को शत-प्रतिशत सफल बनाने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है। इस योजना का लाभ जनता तक पहुंचाकर राजस्व वृद्धि सुनिश्चित करने का प्रयास किया जाएगा।इस जनसभा ने विद्युत निगमों के निजीकरण के खिलाफ एकजुटता और संघर्ष का स्पष्ट संदेश दिया। भारी संख्या में उपस्थित लोगों ने निजीकरण का पुरजोर विरोध करते हुए अपने संकल्प को दोहराया।