जागो राजभर जागो संगठन की ओर से पत्रकार वार्ता की गई । सदस्यों ने कहा कि भर/राजभर जाति को अनुसूचित जनजाति में सम्मिलित करने हेतु अष्टम विधानसभा की याचिका समिति ने सिफारिश की थी। किन्तु विधानसभा की याचिका समिति के निर्णय के विपरीत भर/राजभर जाति का प्रस्ताव अनुसूचित जाति (SC) में चला गया जिसे जून 1983 में खारिज कर दिया गया फिर दोबार अनुसूचित जाति का प्रस्ताव सन 2004 और 2013 में भेजा गया
जिसे बार बार खारिज कर दिया किन्तु एक बार भी अनुसूचित जनजाति (ST) का प्रस्ताव उत्तर प्रदेश सरकार ने नहीं भेजा जिसे लेकर जागो राजभर जागो समिति ने 11 मार्च 2022 को हाईकोर्ट से निर्देश करवाया था कि उनके प्रत्यावेदन को दो माह में निस्तारित कर दिया जाए। किन्तु राज्य सरकार ने 1 अगस्त 2022 को भर/राजभर जाति का नृजातीय सर्वेक्षण करने का निर्णय लिया उसकी रिपोर्ट 7 मार्च 2024 को बनी और 27 जून 2024 को सरकार ने निर्णय लिया कि सर्वेक्षण केंद्र सरकार स्वयं करवाले सरकार के निर्णय को कोर्ट में चुनौती देने के लिए वर्तमान याचिका 43030 की गई है जिसमे दिनाँक 03 जनवरी 2025 को आदेश पारित हुआ। 13 फरवरी 2025 को तारीख तय था लेकिन फाइल नम्बर पर नहीं आया इसलिए सुनवाई नहीं हो पायी है! केंद्र और राज्य में एक ही पार्टी की सरकार आज दस वर्षों से है और उस पार्टी में राजभर समाज के विधायक मंत्री बने अनिल राजभर और ओमप्रकाश राजभर दो नुमाइंदे भी हैं जिन्होंने समाज को हक अधिकार दिलाने का वादा किया था लेकिन दोनों मंत्री आज आंखे बंद करके सत्ता की मलाई काट रहे हैं और जब समाज सवाल करता है तो ये दोनों गुमराह करने लगते हैं जिसको लेकर जागो राजभर जागो संगठन के तमाम पदाधिकारियों सहित राजभर समाज के लोग दोनों नेताओं का 2027 के विधानसभा चुनाव में बहिष्कार करने का तैयारी कर लिया है!