टीकमगढ़ से टेक्नोलॉजी तक: प्रखर विश्वकर्मा की स्वदेशी ‘रिलॉन्च ऑटोमैटिक मिसाइल’ देगी भारत को रणनीतिक बढ़त

मध्यप्रदेश के टीकमगढ़ जिले के होनहार युवा वैज्ञानिक प्रखर विश्वकर्मा ने देश की रक्षा प्रणाली को सशक्त करने की दिशा में बड़ा कदम उठाया है। बंसल इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी, भोपाल में मैकेनिकल इंजीनियरिंग के छात्र प्रखर ने 'रिलॉन्च ऑटोमैटिक मिसाइल' (RAM) नामक एक ऐसी मिसाइल प्रणाली का डिज़ाइन किया है, जो हमले के बाद पुनः अपने लॉन्चपैड पर लौट सकती है — यह तकनीक भारत के लिए रक्षा के क्षेत्र में एक रणनीतिक गेमचेंजर बन सकती है।यह उन्नत मिसाइल प्रणाली ड्यूल इंजन (सॉलिड और लिक्विड फ्यूल) से लैस है और 150 किलोमीटर की मारक क्षमता रखती है। इसमें जेट व मिसाइल तकनीक का कॉम्बिनेशन, ऑटोपायलट नियंत्रण प्रणाली और पूरी तरह से स्वदेशी डिज़ाइन शामिल है।

प्रखर इस परियोजना पर बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) के विशेषज्ञों के साथ मिलकर कार्य कर रहे हैं। जल्द ही इसे पेटेंट करवाने और रक्षा क्षेत्र में उपयोग हेतु परीक्षण की दिशा में बढ़ाया जाएगा।प्रखर को पहले भी कई अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय मंचों पर सम्मान प्राप्त हो चुका है — NASA से 'Scientist for a Day' अवार्ड, ISRO की चंद्रयान-3 टीम में भागीदारी, तथा जर्मनी, मुंबई, कोलकाता और अहमदाबाद जैसे शहरों में विज्ञान से जुड़ी प्रस्तुतियों का हिस्सा बनना उनके सफर को खास बनाता है।प्रखर ने भारत सरकार, DRDO और ISRO से इस परियोजना को तकनीकी एवं वित्तीय समर्थन देने की अपील की है ताकि इसका व्यापक विकास हो सके। उनका सपना है कि भारत आत्मनिर्भर रक्षा तकनीक में विश्वगुरु बने और उनका नवाचार इस दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सके।प्रखर जैसे नवप्रवर्तनकारी युवाओं की कहानियाँ न केवल प्रेरणास्रोत हैं, बल्कि देश की वैज्ञानिक उन्नति की दिशा में एक नया आश्वासन भी हैं।

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