काशी हिंदू विश्वविद्यालय में चंदन की लकड़ी चोरी का मामला अब नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल तक पहुंच गया है।नई दिल्ली स्थित एनजीटी की प्रधान पीठ ने इस गंभीर मामले में बीएचयू प्रशासन से तीखे सवाल किए।जस्टिस प्रकाश श्रीवास्तव, जस्टिस सुधीर अग्रवाल और डॉ. ए. सेंथिल वेल की बेंच ने पूछा -इतनी सुरक्षा के बीच बहुमूल्य चंदन की लकड़ी बाहर कैसे गई? लकड़ी कोई गठरी नहीं होती!जब विश्वविद्यालय के अधिवक्ता ने कहा कि कटे हुए सिर्फ "पौधे" थे, तो एनजीटी ने कड़ी फटकार लगाई।जजों ने कहा एफआईआर में ‘चंदन की लकड़ी’ लिखा है, तो यह पौधा कैसे हुआ?
एनजीटी ने यह भी सवाल किया कि 12 अन्य पेड़ — जिनमें आम, महुआ, कटहल और गोल्ड मोहर जैसे वृक्ष शामिल हैं — बिना किसी वैज्ञानिक आकलन के कैसे काट दिए गए?2018 से 2023 के बीच कुल 8 चंदन के पेड़ चोरी हो चुके हैं, याचिकाकर्ता सौरभ तिवारी ने यह जानकारी दी।जब बीएचयू ने एक शोध छात्रा के घायल होने को ताड़ का पेड़ काटने का कारण बताया,तो एनजीटी ने इसे “बचाव की कागजी कोशिश” करार दिया।सीसीटीवी फुटेज दबाना, पेड़ों को “खतरनाक” बताकर कार्रवाई करना और वन विभाग और जिलाधिकारी की अब बीएचयू को जवाब देने के लिए दो सप्ताह की मोहलत दी गई है।संभावना है कि NGT इस पर आदेश पारित करे और बीएचयू पर जुर्माना लगे।