आध्यात्म, भक्ति और आस्था के संगम पर बसे हरिश्चंद्र घाट स्थित अघोरपीठ में अवधूत श्रेष्ठ बाबा कीनाराम जी की 426वीं जयंती अत्यंत श्रद्धा और भव्यता के साथ मनाई गई। पीठाधीश्वर कपाली बाबा की अध्यक्षता में आयोजित इस महोत्सव में देश के विभिन्न हिस्सों से आए साधु-संतों, अघोरी साधकों और हजारों श्रद्धालुओं ने भाग लिया।सुबह से ही बाबा कीनाराम के दरबार में भक्तों का तांता लगा रहा। दिनभर अघोरपीठ परिसर वैदिक मंत्रोच्चारण, साधु-संतों की उपस्थिति और भक्तों की जयकारों से गूंजता रहा। विशेष सहस्त्राचक विधि से बाबा का पूजन हुआ और महाआरती संपन्न हुई। महाआरती के समय पूरा वातावरण जयकारों से गुंजायमान हो उठा। श्रद्धालुओं ने दर्शन-पूजन कर न केवल आशीर्वाद प्राप्त किया बल्कि अपने जीवन में शांति, सुख और समृद्धि की कामना भी की।
पीठ परिसर को इस अवसर पर भव्य फूलों की झालरों, रंग-बिरंगी रोशनियों और पारंपरिक सजावट से अलंकृत किया गया था। सुबह से देर रात तक धार्मिक अनुष्ठान, भजन-कीर्तन और संत प्रवचन का क्रम चलता रहा। देशभर से आए संतों ने अपने प्रवचनों में बाबा कीनाराम के जीवन दर्शन, अघोर परंपरा और मानवता पर आधारित उनकी शिक्षाओं को जनमानस के सामने रखा।कार्यक्रम के अंतर्गत शाम को विशाल भंडारे का आयोजन हुआ, जिसमें हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं, साधु-संतों और आगंतुकों ने प्रसाद ग्रहण किया। भंडारे के दौरान वातावरण भक्ति और सेवा की भावना से ओतप्रोत रहा।अघोरपीठ में आयोजित इस भव्य जयंती महोत्सव में वाराणसी ही नहीं बल्कि पूर्वांचल और अन्य राज्यों से आए श्रद्धालु भी शामिल हुए। कार्यक्रम का समापन देर रात संतों की वाणी और भजन-कीर्तन के साथ हुआ।