बेसिक विद्यालयों में शिक्षकों के समायोजन पर बवाल, हाईकोर्ट ने सरकार से 8 हफ्ते में मांगा जवाब

प्रयागराज में परिषदीय विद्यालयों के शिक्षकों के समायोजन को इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है। आरोप है कि सरकार ने नियमों की अनदेखी करते हुए मनमाने तरीके से स्कूलों और शिक्षकों का चयन किया है। इसके खिलाफ अनिल कुमार सहित नौ लोगों ने याचिका दाखिल की है।याचियों की ओर से कहा गया कि शिक्षा का अधिकार अधिनियम के नियम 21 के अनुसार शिक्षकों का समायोजन जिलाधिकारी का अधिकार क्षेत्र है, लेकिन यह काम बेसिक शिक्षा परिषद के सचिव द्वारा किया गया, जो नियमों के विपरीत है। इसके अलावा छात्र-शिक्षक अनुपात का आधार भी स्पष्ट नहीं है और कई स्कूलों को गलत तरीके से "सरप्लस" या "कम छात्र संख्या वाला" घोषित कर दिया गया।

याचिका में आरोप लगाया गया कि जिन विद्यालयों में 60 से अधिक छात्र हैं, उन्हें भी एकल घोषित कर दिया गया। वहीं 150 से अधिक छात्र संख्या वाले स्कूलों के हेडमास्टरों को भी सरप्लस कर दिया गया, जबकि लखनऊ खंडपीठ ने पहले ही ऐसे मामलों में रोक लगाई हुई है।साथ ही कहा गया कि समायोजन में विषय शिक्षकों की जरूरत का ध्यान नहीं रखा गया। कई स्कूलों में एक ही विषय के कई अध्यापक भेज दिए गए, जबकि दूसरे विषयों की उपेक्षा हुई। याचिका में 1 जुलाई को जारी स्थानांतरण सूची को भी निरस्त करने की मांग की गई है।हाईकोर्ट ने इस मामले में राज्य सरकार और परिषद से आठ सप्ताह के भीतर जवाब मांगा है।

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