वाराणसी चैत्र नवरात्रि के पंचमी से सप्तमी तक चलने वाले बाबा महाश्मसान नाथ के त्रिदिवसीय श्रृंगार महोत्सव का समापन हुआ इस दौरान बाबा को पंचमकार का भोग लगाकर तांत्रोकत विधान से भव्य आरती किया गया, ऎसी मान्यता है कि बाबा को प्रसन्न करने के लिये शक्ति ने योगिनी रूप धरा था। और आज बाबा का प्रांगण रजनी गंधा,गुलाब व अन्य सुगंधित फूलों से सजाया गया था। आरती के पश्चात नगर वधुऔ ने अपने गायन व नृत्य के माध्यम से परम्परागत भावांजली बाबा को समर्पित करते हुए मन्नत मांगी की बाबा अगला जन्म सुधारे, यह बहुत ही भावपूर्ण दृश्य था। जिसे देखकर सभी लोगों की आखे नम हो गयी। इस श्रृंगार महोत्सव के प्रारंभ के बारे में विस्तार से बताते हुए गुलशन कपूर ने कहा कि यह परम्परा सैकड़ों वर्षों से चली आ रही है। जिसमें यह कहा जाता हैं कि राजा मानसिंह द्वारा जब बाबा के इस मंदिर का जीर्णोद्धार कराया गया था। तब मंदिर में संगीत के लिए कोई भी कलाकार आने को तैयार नहीं हुआ था।
इसी कार्य को पूर्ण करने के लिए जब कोई तैयार नहीं हुआ तो राजा मानसिंह काफी दुःखी हुए, और यह संदेश उस जमाने में धीरे-धीरे पूरे नगर में फैलते हुए काशी के नगर वधूऔ तक भी जा पहुंचा तब नगर वधूऔ ने अपना यह संदेश राजा मानसिंह तक भिजवाया कि यह मौका अगर उन्हें मिलता हैं तो काशी की सभी नगर वधूएं अपने आराध्य संगीत के जनक नटराज महाश्मसानेश्वर को अपनी भावाजंली प्रस्तुत कर सकती है। यह संदेश पा कर राजा मानसिंह काफी प्रसन्न हुए और सस्मान नगर वधूऔ को आमंत्रित किया गया और तब से यह परम्परा चली आ रही है।इस दौरान बाबा का रात्रि पर्यन्त चलने वाला जागरण प्रारंभ हुआ जो की जलती चिताऒ के पास मंदिर में अपने परम्परागत स्थान से प्रारंभ हुआ इसमें सर्वप्रथम आये हुए अतिथियों का स्वागत मंदिर के व्यवस्थापक गुलशन कपूर व अध्यक्ष चैनू प्रसाद गुप्ता ने किया । आयोजन में बिहारी लाल गुप्ता, विजय शंकर पांडे, राजू साव,संजय गुप्ता,दीपक तिवारी, अजय गुप्ता, आदि पदाधिकारी व भक्त शामिल थे।
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