काशी के केदारघाट के ठीक बगल में भगवती कलीकलुश निकन्दनी जान्हवी के दर पर परंपरा के अनुसार पिंगल नाम के नव संवत्सर का स्वागत किया गया। स्वामी अविमुक्तेश्वरानन्द सरस्वती ने बताया कि यहाँ गुरुकुल के लगभग 200 बटुकों ने मिलकर के भगवान सूर्य को जो वर्ष का पहला सूर्योदय हुआ उसको अर्घ्य प्रदान किया।
सूर्य को नमस्कार किया और फिर राष्ट्रध्वज फहराया गया और पंचाग के फल का श्रवण हम सभी लोगों ने किया।
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