काशी हिन्दू विश्वविद्यालय स्थित भोजपुरी अध्ययन केंद्र के सभागार में 'कविता का समय' विषय पर विचार गोष्ठी के साथ बहुभाषी कविता पाठ का आयोजन किया गया। जिसकी अध्यक्षता हिंदी विभाग के प्राध्यापक और भोजपुरी अध्ययन केंद्र के समन्वयक प्रो. श्रीप्रकाश शुक्ल ने की। इस अवसर पर प्रो. श्रीप्रकाश शुक्ल ने कहा कि कविता अपने समय में होकर भी समय के पार जाती है। कवि उस समय को रचता है जिस समय को कोई देख नहीं पाता। प्रो. शुक्ल ने कहा कि इस जटिल, विकट और उलझे हुए समय में यह कविता के सांस्कृतिक पहचान का समय है। कविता अपने समय के भीतर होकर भी आने वाले समय से संवाद करती है। मुख्य वक्ता और प्रतिष्ठित कवि हीरालाल मिश्र 'मधुकर' ने कहा कि साहित्य समस्त संस्कृति का मेरुदंड भी है केवल समाज का दर्पण नहीं है। इस अवसर पर हीरालाल मिश्र ने 'हम समय चक्र के हस्ताक्षर' नामक कविता का पाठ भी किया।विशिष्ट वक्ता और वरिष्ठ कवि हरेराम त्रिपाठी 'चेतन' रहे।
इस सत्र में हिन्दी, अंग्रेजी, भोजपुरी, मैथिली, मराठी आदि भाषाओं में कविता पाठ भी किया गया। जिसमें सौम्या मिश्रा, मनोरमा, शिवानी, राहुल केशरी, एकता सागर, रोशन राजीव, शुभम कुमार, आशुतोष शर्मा, आदित्य नायक, आदि ने अपनी कविताओं का सुंदर पाठ किया। कार्यक्रम का संचालन छात्र अंकित मिश्र ने किया। स्वागत वक्तव्य मानस पत्रिका के संपादक और शोधार्थी आर्यपुत्र दीपक ने दिया। सत्र के अंत में धन्यवाद ज्ञापन शोध छात्र राकेश ने किया। इस दौरान सभागार में भारी संख्या में छात्र छात्राएं और शिक्षकगण उपस्थित रहे।