संकट मोचन संगीत समारोह के सौवें संस्करण की छठी संध्या का शुभारंभ काशी की नाट्य संस्था ‘राम की शक्तिपूजा’ का नाट्य मंचन से हुआ। पं. सूर्यकांत त्रिपाठी निराला की कालजयी रचना के मंचन में तीन नृत्य विधाओं का उपयोग किया गया। छऊ, भरतनाट्यम एवं कथक नृत्य विधाओं के साथ अभिनय,संगीत तथा प्रकाश बेहतर तालमेल से यह मंचन आकर्षक बन पड़ा। राम-रावण युद्ध स्वयं शक्ति को रावण की ओर से युद्ध करता देख हतोत्साहित राम के मनोभावों, लक्ष्मण, हनुमान आदि के नेतृत्व में घनघोर संग्राम के दृश्यों,जामवंत द्वारा राम को रावण से बड़ी देवी आराधना करने के लिए प्रेरित करने आदि प्रसंगों का कुशलता से मंचित किया गया। व्योमेश शुक्ल की परिकल्पना का संगीत संयोजन जेपी शर्मा और गायन आशीष मिश्र ने किया। राम की भूमिका स्वाति, सीता और देवी दुर्गा- नंदिनी, लक्ष्मण- साखी, हनुमान, विभीषण और जामवंत-तापस,सुग्रीव और अंगद की भूमिका पूजा शाश्वत ने सफलता पूर्वक निभाई।
दूसरी प्रस्तुति में पद्मभूषण एन. राजम के वायलिन वादन की रही। वादन के आरम्भ में उन्होंने आलाप से राग बागेश्री में आलाप और जोड़ बजाया। झाला से वादन को विस्तार दिया। वायलिन वादन में उनकी पुत्री संगीता शंकर ने सहयोग किया। उनके साथ तबले पर अभिषेक मिश्र ने संगत की।संकट मोचन के दबरबार में पद्मश्री मालिनी अवस्थी ने छोटा ख्याल में एक बंदिश से गायन की शुरुआत की। इसके बाद राग माझ खमाज में ठुमरी फिर इसी राग में दादरा से गायन को विराम दिया। उनके साथ हारमोनियम पर पं. धर्मनाथ मिश्र और तबला पर संजू सहाय ने प्रभावी संगत की।