वाराणसी के चौबेपुर क्षेत्र के सरसौल गांव के निवासी आलिम अली, एक साधारण गांववासी के रूप में जन्मे थे, लेकिन उनमें वीरता का जज्बा था जो उन्हें सेना में भर्ती होने के लिए प्रेरित करता रहा। 22 ग्रेनेडियर के नायक रहे 1990 में वह सेना में शामिल हो गए। जुलाई 1992 से सितंबर 1995 तक, उन्होंने कश्मीर में चल रहे 'ऑपरेशन रक्षक' में सेना के साथ अपना योगदान दिया। पाकिस्तान जब कारगिल में घुसा तब 7 जून 1999 में आलिम अली को कारगिल में युद्ध लड़ने भेजा गया।
आलिम अली ने अपने 25 साथियों के साथ कारगिल के युद्ध में हिस्सा लिया, और 21 हजार फीट की ऊंचाई पर अपने साथियों के साथ तिरंगा फहराया। पाकिस्तानी फौज से युद्ध के दौरान उन्हें सीने, घुटने, कमर समेत शरीर के अन्य हिस्सों में आठ गोलियां लगी थीं। आज भी, कारगिल युद्ध की लड़ाई को भले ही 24 साल बीत गए हों लेकिन कारगिल की लड़ाई में शामिल काशी का यह एक जवान आज भी छाती चौड़ी कर अपनी शौर्यगाथा सुनाता है।
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