संतमत अनुयायी आश्रम मठ गड़वाघाट में गुरुपूर्णिमा का पर्व बड़े ही हर्ष एवं उल्लास के साथ मनाया गया। गुरूपूर्णिमा आने के एक महीने पहले से ही सड़क, गंगाघाट, आश्रम, पुस्तकालय तथा समाधि मन्दिरों की सफाई एवं रंग रोगन का कार्य शुरू हो गया था। हजारों विद्युत झालरो से सजे गुरु प्रांगण में बच्चों के लिए हजारों दुकानदारों ने अपना अपना हाट लगाया था। सर्कस, झूलों एवं नाट्य कला से ओत प्रोत प्रतिष्ठानों सहित आस-पास की जगह खिलौनों एवं मिठाइयों की दुकानों से पटी रही।
सोमवार प्रातः 7:00 बजे से संतमत अनुयायी आश्रम के वर्तमान पीठाधीश्वर द्वारा समाधि पूजा के अन्तर्गत अपने पूर्ववर्ती पीठाधीश्वरों की पूजा अर्चना किये। तत्पश्चात 8:00 बजे से भक्तों के लिए वर्तमान स्वामी सरनानन्द जी महाराज परमहंस का दर्शन पूजन प्रारम्भ हुआ। दर्शन आरती एवं पूजा तथा भक्ति संगीत का कार्यक्रम हुआ। भक्तों को सम्बोधित करते हुये स्वामी जी ने कहा कि अज्ञान रूपी अन्धकार से ज्ञान रूपी प्रकाश का स्रोत है गुरु शिष्यों का अपने गुरु के प्रति आगाध समर्पण उन्हें जीवन के आवागमन से मुक्त कर देता है।