बाबा भोले की नगरी काशी में सावन माह के प्रथम सोमवार को अलग ही नजारा देखने को मिला। एक और जहां पूरी काशी केसरिया रंग में रंगी नजर आई तो वहीं दूसरी ओर हर ओर से हर हर महादेव का उद्घोष गुंजायमान होता रहा। आस्था का ऐसा जनसैलाब उमड़ा की रविवार की शाम से ही कावरीयो और भक्तों का रेला काशी विश्वनाथ धाम पहुँच गया।
देर रात से ही लोग बाबा काशी विश्वनाथ के दर्शन और जलाभिषेक हेतु कतारबद्ध हो गए। विश्वनाथ धाम के अंदर ही लगी बैरिकेडिंग में लोग कतार बद्ध रहे। इस दौरान भक्त आस्था का गंगाजल और श्रद्धा के बिल्वपत्र लिए अपने आराध्य के दर्शन मात्र हेतु लालायित दिखे।
प्रभु की आस्था का ऐसा नजारा दिखा की हर कोई प्रभु की भक्ति मे लीन रहा और सभी को भी प्रभु दर्शन की ललक रही। एक दिव्यांग कांवरिया की आस्था देख लोग स्तब्ध रहे । बाबा की झलक पाने को आतुर इस दिव्यांग कावरिया के चेहरे पर थकान और असमर्थता की एक झलक नहीं दिखी।
वहीं जैसे ही बाबा विश्वनाथ की मंगला आरती हुई वैसे ही भक्तों के दर्शन हेतु मंदिर का पट खोला गया मंदिर का पट खुलते ही चारों दिशाओं से शंख घंटे घड़ियाल डमरु की ध्वनि के बीच हर हर महादेव और बोल बम के उद्घोष से पूरा वातावरण गुंजायमान हो उठा। भक्तो ने बाबा काशी विश्वनाथ को बेलपत्र मदार की माला, फल फूल मिष्ठान अर्पित करते हुए उनका दुग्धाभिषेक किया। इस दौरान स्पर्श दर्शन पर प्रतिबंध रहा।
वही पुलिस प्रशासन पूरी तरह से चप्पे चप्पे पर तैनात थे जो अपनी जिम्मेदारी निभाते हुए क्रम से दर्शन पूजन भक्तो को कराने में लगे थे शहर के सारे अधिकारी भारी पुलिस बल के साथ गस्त करते दिखे। ताकि आने वाले श्रदालुओ को कोई दिक्कत न हो। भारी भीड़ को देखते हुए सामाजिक सन्गठन के लोग भी अपनी ड्यूटी में लगे रहे ।आपको बता दे की पुरे मन्दिर प्रांगण को आकर्षक ढंग से सजाया गया था। देशी विदेशी फूलों से सजे मन्दिर मे अलग छटा रही। बाहर से आये श्रदालुओ ने भी मन्दिर को बड़े ही उत्साह के साथ निहारा।
वही गोदौलिया बुलानाला मैदागिन से किसी वाहन को नही आने दिया गया पुलिस मुस्तेदी से नियम का पालन करा रही है। वही काशी मे गंगा जमुनी तःजी तहज़ीब की मिसाल पेश करते हुए कुछ मुस्लिम बंधुओ ने हाथों में तिरंगा लेकर लाइन में लगे व श्रावण माह में आने वाले श्रदालुओ का फूलों से स्वागत व सम्मान किया। पूरे मन्दिर क्षेत्र में जगह जगह लोगो हेतु जलपान,चाय,पानी,फलाहार व दवा की व्यवस्था की गई थी। जिसका श्रदालुओ ने लाभ लिया । केसरिया वस्त्र में बाबा की जय जय कार के बीच कावरियों भक्तो केदर्शन का क्रम लगातार जारी रहा।
वही सावन के प्रथम सोमवार को बाबा काशी विश्वनाथ की मंदिर सहित शहर के सभी छोटे बड़े शिवालयों में भक्तों ने पहुंचकर दर्शन पूजन किया। इसी कड़ी में दारानगर स्थित मृत्युंजय महादेव मंदिर में भी भारी संख्या में श्रदालुओ ने पहुँच कर बाबा का दर्शन पूजन किया ।
कतार बद्ध श्रद्धालुओं ने बाबा को बेलपत्र, धतूरा, मदार माला, सहित अन्य प्रसाद अर्पित किया और बाबा का जलाभिषेक किया। मंदिर के सदस्य व्यवस्थाओं में जुटे रहे और सभी को क्रमबद्ध दर्शन पूजन कराया। मैं मंदिर परिक्षेत्र में माला फूल की दुकानें सजी रही।
इसी क्रम मे ईश्वरगंगी स्थित जागेश्वर महादेव मंदिर में भी भक्तो का रेला उमड़ पड़ा । भोर से ही बाबा जागेश्वर महादेव की जय के उद्घोष के साथ महिला पुरुष व बच्चो ने पहुँच कर मत्था टेका। जलाभिषेक कर सुख समृद्धि की कामना की। ऐसा मानना है कि श्रावण माह में बाबा के दरबार मे आकर जो भी भक्त मुरादे मांगते है वह अवश्य पूर्ण होती है ।
इस अवसर पर पूरे मन्दिर प्रांगण को आकर्षक ढंग से सजाया गया श्रदालुओ ने बाबा की आरती उतारी और बेलपत्र ,माला,फूल,जल चढ़ा कर परिवार सहित सभी की खुशियाली की कामना की। वही मन्दिर के महन्त मधुर कृष्ण महाराज ने श्रावण माह के महत्व को विस्तार से बताया। और भक्तो मे प्रसाद वितरित किया।
इसी कड़ी मे देवाधिदेव महादेव की नगरी काशी में सावन के प्रथम सोमवार के दिन बीएचयू स्थित विश्वनाथ मंदिर में दर्शन करने वालों का देर रात से ताता लगा रहा। हर हर महादेव के उद्घोष के साथ हजारों की संख्या में दर्शनार्थीयो ने दर्शन पूजन किया।
दर्शन करने वाले लोग कतार बद्ध होकर दर्शन कर रहे थे। यह लाइन लगभग 1 किलोमीटर दूर तक लगी थी। दूर-दूर से आए श्रद्धालुओं ने बीएचयू स्थित बाबा विश्वनाथ के मंदिर में मत्था टेका । इसके साथ ही बीएचयू के छात्र-छात्राएं भी दर्शन पूजन करने के लिए पहुंच रहे थे।
इसी क्रम मे पांडेय हवेली स्थित बाबा श्री तिलभांडेश्वर महादेव के दरबार में सावन के प्रथम सोमवार को भक्तो का ताता लगा रहा। ऐसी मान्यता है कि सावन में बाबा भोले को जल चढ़ाने मात्र से हैं सारी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती है और बाबा मनवांछित फल देते हैं।
तिलभांडेश्वर के दर्शन करने दूर-दूर से लोग पहुंचते हैं। भक्तो ने बाबा का जलाभिषेक कर फल फूल मिष्ठान इत्यादि अर्पित किया । और जीवन मंगल की कामना की।