रविवार को श्री लाट भैरव भजन मण्डल की ओर से श्रावण (अधिक) मास के अवसर पर आदिकेशव घाट स्थित श्री आदिकेशव मंदिर में भजन संध्या का आयोजन किया गया।काशी के उत्तरी छोर गंगा वरुणा नदी के संगम स्थल पर अवस्थित अतिप्राचीन भगवान श्री हरि के आदिकेशव व ज्ञानकेशव स्वरूप का पूजन-अर्चन किया गया।भगवान श्री को पुष्प, धूप, दीप नैवेद्य सहित मालपुए का भोग अर्पित किया गया।श्री हरि के आदिकेशव स्वरूप का मनोहारी दर्शन पाकर हर भक्त निहाल हो गयें।
गणेश वंदना के साथ ही भजन मंडली ने अपने गोल-गान सहित कार्यक्रम प्रारम्भ किया।उत्तरवाहिनी माँ गंगा की अविरल धारा के समानांतर हरि भजन की धारा प्रवाहित हुई तो प्रतीत हुआ कि गंगा भी कल-कल करती लहरों से अपने आराध्य को प्रणाम कर रहीं हो।पूरा मंडप कर्णप्रिय संगीतमयी हरि भजनों से गूंज उठा।नाम हरि का हृदय से ना भूलो, गिरिधर मेरे मौसम आया धरती के श्रृंगार का, श्री मन्नारायण नारायण हरि हरि आदि भजनों को गाकर गायकों ने खूब रंग जमाया।कार्यक्रम में संस्थाध्यक्ष केवल कुशवाहा, गोविंद, धर्मेंद्र शाह, शिवम अग्रहरि, अमरनाथ पांडेय, प्रवीण कुशवाहा, उत्कर्ष कुशवाहा, नवीन, चंद्रिका, नरेंद्र, मंगरु, रितेश, जय प्रकाश राय, रामेश्वर, रविदत्त, रामप्रसाद, अमन, ओमप्रकाश, सत्यम, नीरज, बबलू, विनोद, दिनेश आदि सहित बड़ी संख्या में भक्तों ने भजनामृत की बहती धारा में गोता लगाया।