नाग पंचमी के अवसर पर नागकूप पर लाखों श्रद्धालुओं की भीड़ होती है। इस बार शुभ योग के साथ सोमवार 21 अगस्त को नागपंचमी पड़ने से फलदायी होगी। जैतपुरा स्थित नागकूप महर्षि पतंजलि की तपोस्थली है. नाग पंचमी पर हर साल उनकी जयंती श्रद्धाभाव से मनाई जाती है. कहा जाता है कि 'योगसूत्र' के रचनाकार महर्षि पतंजलि ने कभी जैतपुरा मोहल्ले में नागकूप पर श्रावण कृष्ण पंचमी को ही अपने गुरु महर्षि पाणिनी के 'अष्टाध्यायी' ग्रंथ पर महाभाष्य पूरा किया था।
पंचमी के स्वामी नागदेवता हैं। इसलिए इस दिन नागदेवता की पूजा होती है। वहीं, नागलोक की देवी मां मनसा हैं। इसलिए इस दिन इनकी पूजा का भी विधान है। जैतपुरा स्थित नागेश्वर महादेव मंदिर परिसर में नागकूप की विशेष पूजा होती है। ऐसी मान्यता है कि इस नागकूप का दर्शन करते मात्र से ही कालसर्प समेत सभी दोष दूर हो जाते हैं। वैसे तो प्रतिदिन यहां दर्शन करने को लोग आते हैं लेकिन नागपंचमी के पर्व पर नागकूप का दर्शन करना विशेष फलदायी होता है। कालसर्प दोष निवारण में प्रधान कुंड होने के कारण यहां देश ही नहीं विदेशों से भी लोग आते हैं।
वही पर्व के मद्देनजर रंग रोगन साफ सफाई का कार्य कर मन्दिर के लोगो द्वारा किया गया। प्रशासन के तरफ से भी भीड़ को देखते हुए विशेष व्यवस्था की गई है। मन्दिर के आचार्य कुंदन पाण्डेय ने होने वाले दर्शन पूजन के सम्बंध में विस्तार से जानकारी दी।