प्लेटलेट्स की कमी डेंगू से ग्रसित मरीजों की मौत का कारण नहीं हो सकती है। इस संबंध में मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ संदीप चौधरी ने अपने कार्यालय में बुधवार को मीडिया कर्मियों के साथ विस्तार से वार्ता किया। सीएमओ ने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय मानकों के अनुसार, जब तक किसी मरीज का प्लेटलेट्स काउंट दस हजार से कम न हो और सक्रिय रक्तस्राव न हो रहा हो तब तक उसे प्लेटलेट ट्रांसफ्यूजन की आवश्यकता नहीं होती है। डेंगू के इलाज में प्लेटलेट्स ट्रांसफ्यूजन प्राथमिक इलाज नहीं है। वास्तव में, प्लेटलेट्स ट्रांसफ्यूजन मरीज को लाभ पहुंचाने की जगह नुकसान ही करता है यदि इसका उपयोग ऐसे रोगी में किया जाता है जिसमें प्लेटलेट्स की गिनती दस हजार से अधिक है।
सीएमओ ने कहा - डेंगू से पीड़ित रोगियों में मृत्यु का प्राथमिक कारण केशिका यानी कैपिलरी रिसाव है, जो इंट्रावास्कुलर कंपार्टमेंट में रक्त की कमी का कारण होता है और जिसके फलस्वरूप बह विफलता होती है। इंट्रावास्कुलर कंपार्टमेंट से एक्स्ट्रावास्कुलर कंपार्टमेंट में प्लाज्मा रिसाव की स्थिति में, मरीज को प्रति घंटे 20 मिलीलीटर प्रति किलो शरीर के वजन की मात्रा में फ्लूड चढ़ाया जाना चाहिए। इसे तब तक जारी रखना चाहिए जब तक कि ऊपरी और निचले रक्तचाप के बीच का अंतर 40 एमएमएचजी से अधिक न हो जाए, यह वह सब है जो रोगी के इलाज के लिए आवश्यक है, अनावश्यक प्लेटलेट्स चढ़ाने से मरीज की तबीयत और खराब हो सकती है। सीएमओ ने कहा - डेंगू बुखार एक मच्छर जनित रोग है। डेंगू के सामान्य लक्षणों में तेज बुखार, त्वचा पर हल्के लाल चकत्ते, खांसी और आंखों के पीछे और जोड़ों में दर्द शामिल हैं। हालांकि, कुछ लोगों को लाल और सफेद धब्बेदार चकत्ते विकसित हो सकते हैं डेंगू से पीड़ित मरीजों को चिकित्सकीय सलाह लेनी चाहिए, आराम करना चाहिए और अधिक मात्रा में तरल पदार्थ पीना चाहिए।