भाइयों की लंबी उम्र की कामना के साथ बहनों ने उल्लास के साथ मनाया भाई दूज पूजन

बाबा विश्वनाथ की नगरी काशी में बुधवार को भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक पर्व भाई दूज उल्लास पूर्ण माहौल में मनाया गया। पर्व पर बहनों ने भाइयों की लम्बी उम्र के लिए जगह जगह सामूहिक रूप से गोधन कूटने की रस्म निभाई। समूह में बैठ कर रूई में बेसन लगा कर लंबी मालाएं बनाईं। मान्यता यह है कि रूई और बेसन की माला जितनी लंबी होगी, भाई की उम्र उतनी ही लंबी होगी। परम्परानुसार बहनों ने टोटका गूंगभटकइया के कांटे को भी अपनी जीभ पर स्पर्श किया और भाइयों को श्राप देकर उनके लम्बी आयु के लिए प्रार्थना किया। 

भाई दूज यानी यम द्वितीया पर यमराज को प्रसन्न करने के लिए बहनों ने व्रत भी रखा। गौरतलब हो कि वाराणसी में भाईदूज पर्व दो दिन मनाया गया। कार्तिक शुक्ल द्वितीया तिथि 14 नंवबर दोपहर 02.36 बजे से शुरू हुई और इसका समापन 15 नंवबर को दोपहर 01.47 बजे हुआ। उदिया तिथि के चलते भाई दूज का पर्व ज्यादातर बहनों ने बुधवार को मनाया। 

इसी कड़ी में नसीरपुर विवेकनगर में भी भाई दूज का त्योहार बड़े धूम धाम से मनाया गया आज बहने अपने भाइयों की लंबी उम्र की कामना करती हैं इसमें पहले बहने अपने भाई को श्राप देती हैंऔर उसके बाद अपनी गलती के लिए अपने जीभ पर कांटे चुभोती हैं और फिर अपने गलती के लिए अन्य विधि विधान करती है 

इसी कड़ी में लीलावती पांडेय से बात करने पर उन्होंने बड़े ही उत्साह से इसकी विधि को बताया की आज हम लोग भैय्या दूज की पूजा कर रहे हैं । 

वही शोभा सिन्हा ने बताया की आज के दिन यमराज अपने बहन यमुना जी से मिलने जाते हैं वही पर यमुना जी नाना प्रकार के भोजन आदि अपने भाई को कराती हैं जिससे प्रसन्न हो यमराज अपने बहन यमुना जी को उपहार देते हैं ।भाई दूज पर भाई को तिलक करने के बाद भोजन कराने की धार्मिक मान्यता है. ऐसा कहा जाता है कि जो बहन पूरी श्रद्धा और आदर के साथ तिलक और भोजन कराती है और जो भाई अपनी बहन का आतिथ्य स्वीकार करता है, उनकी सारी इच्छाएं पूरी होती हैं और यमराज का भय नहीं रहता है.

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