वाराणसी के छितौना गांव में दो समुदाय के बीच हुई मारपीट की घटना अब गहराता जा रहा है। इस मामले ने नया मोड़ तब लिया जब क्षत्रिय महासभा के कार्यकर्ताओं ने गांव जाने की कोशिश की और पुलिस ने उन्हें वाराणसी-गाजीपुर हाईवे पर संदहा के पास रोक दिया।रोकने पर कार्यकर्ता उग्र हो गए और पुलिस से तीखी नोकझोंक होने लगी। इसी दौरान एक एसीपी की वर्दी फट गई। पुलिस ने हालात को संभालते हुए कार्यकर्ताओं को खदेड़ दिया, लेकिन कुछ देर बाद वे दोबारा हाईवे पर लौटे और धरने पर बैठ गए। जय भवानी के नारे लगे और सड़क को जाम कर दिया गया, जिसके बाद पुलिस ने हाईवे को वनवे कर दिया।उधर, तनाव को देखते हुए आजमगढ़ में क्षत्रिय महासभा युवा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अवनीश सिंह को पुलिस ने उनके घर में नजरबंद कर दिया। वहीं, छितौना गांव के बाहर एक पोस्टर लगाया गया है जिसमें साफ तौर पर बाहरी लोगों को गांव में आकर राजनीतिक गतिविधियों से दूर रहने की चेतावनी दी गई है।
इस पूरे घटनाक्रम को लेकर करणी सेना के प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह रघुवंशी, क्षत्रिय महासभा युवा के प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह और चिरईगांव ब्लॉक प्रमुख अभिषेक सिंह चंचल की मौजूदगी में डीएम सत्येंद्र कुमार और डीआईजी शिवहरि मीणा के साथ सर्किट हाउस में दो घंटे से ज्यादा समय तक बैठक हुई।बैठक में करणी सेना ने सुभासपा के राष्ट्रीय महासचिव अरविंद राजभर के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने की मांग की। अधिकारियों ने घटना की निष्पक्ष जांच का आश्वासन देते हुए 48 घंटे का समय मांगा, जिसे करणी सेना ने मान लिया, लेकिन क्षत्रिय महासभा ने बैठक का बहिष्कार करते हुए प्रदर्शन पर अड़े रहने का ऐलान किया।इस बीच, अरविंद राजभर ने 11 जुलाई को लखनऊ में डीजीपी से मुलाकात कर उच्चस्तरीय जांच की मांग की और अगले दिन वाराणसी पहुंचकर छितौना गांव का दौरा किया। उन्होंने राजभर समुदाय के एक घायल पीड़ित को एक लाख रुपये की सहायता राशि भी दी। आरोप है कि उन्होंने गांव में शक्ति प्रदर्शन किया और ठाकुर समुदाय से जुड़े एक व्यक्ति की फसल को नुकसान पहुंचाया गया, जिससे आक्रोश और बढ़ गया।प्रशासन ने छितौना कांड की जांच के लिए एसआईटी गठित कर दी है और पूरे मामले की निष्पक्ष जांच का भरोसा दिलाया गया है। हालांकि, गांव और आस-पास के इलाकों में तनाव की स्थिति बनी हुई है, जिस पर पुलिस और प्रशासन पूरी निगरानी रखे हुए हैं।