श्री काशी विश्वनाथ धाम में स्पर्श दर्शन की बात पर मंडलायुक्त ने किया खंडन

काशी विश्वनाथ धाम में स्पर्श दर्शन को लेकर सब इंस्पेक्टर पर जुर्माना लगने वाली बात का मंडलायुक्त ने खंडन किया है। मंडलायुक्त ने कहा कि इस सम्बन्ध में उन्हें डिप्टी कलेक्टर का कोई पत्र नहीं मिला है। मंडलायुक्त ने इस मामले में एक पत्र जारी कर इसका खंडन किया। मंडलायुक्त कौशल राज शर्मा के अनुसार, श्री काशी विश्वनाथ मंदिर में दर्शन की जो व्यवस्था कई वर्षों से निर्धारित है उसमे कोई बदलाव नहीं किया गया है। मंदिर में सब श्रद्धालु दर्शन के अधिकारी हैं। प्रतिदिन यहाँ 1.25-1.5 लाख लोग दर्शन करते हैं, रविवार या विशेष दिनों में संख्या 2.5 लाख प्रतिदिन होती है और पर्वों आदि पर 6 लाख प्रतिदिन से भी ज़्यादा होती है। ये सब लोग ही मंदिर के प्रति श्रद्धा के महत्त्वपूर्ण स्तंभ हैं। सभी श्रद्धालु मंदिर के भीतर चारों गेट से प्रवेश करते हैं ताकि ज़्यादा से ज़्यादा लोगों को प्रतिदिन दर्शन कराए जा सकें। प्रतिदिन स्थानीय नियमित दर्शन करने वाले श्रद्धालुओं का अलग से पास बना है जो प्रतिदिन आ सकते हैं। स्पर्श दर्शन के टाइमिंग अलग अलग महीने में अलग अलग घंटों में निर्धारित होते हैं जिसमें सभी श्रद्धालु उस समयावधि में स्पर्श दर्शन भी कर सकते हैं।



उपरोक्त सभी व्यवस्था निःशुल्क है और कई वर्षों से निरंतर चल रही है। मंडलायुक्त ने बताया कि वर्षों पहले मंदिर में कम समय में बिना लाइन के दर्शन करने हेतु सुगम दर्शन व्यवस्था लागू हुई थी। जिसमें 300 रुपये की सहयोग धनराशि से मंदिर के एक शास्त्री दर्शन करा के लाते हैं। इसके अतिरिक्त प्रोटोकॉल व्यवस्था है। जिसमें प्रोटोकॉल के अनुसार निःशुल्क दर्शन कराये जाते हैं। इसके समय निर्धारण करना कठिन होता है, इसलिए ये भी सामान्यतः पूरे दिन चलता है। ऊपर की वर्षों पूर्व चली आ रही व्यवस्था में ना कोई नई व्यवस्था जोड़ी गई है, ना घटाईं गई है। जनवरी माह की शुरुआत से केवल प्रोटोकॉल व्यवस्था के दुरुपयोग को रोकने का प्रयास प्रारंभ हुआ है। गत 3-4 माह से विभिन्न विभागों द्वारा अपने कर्मचारियों व अधिकारियों के माध्यम से प्रोटोकॉल हेतु बनाये गये सेल के माध्यम से दर्शन ना करा कर सीधे दर्शन करा दिये जा रहे हैं। प्रोटोकॉल की इस व्यवस्था को बाइपास करने से प्रथमतः कार्य अनुशासित नहीं रहता, दूसरा जो लोग सुगम दर्शन करने में सक्षम हैं और प्रोटोकॉल के अन्तर्गत नहीं आते उनके इस प्रकार निःशुल्क दर्शन से उनसे मंदिर की आय में फ़र्क़ पड़ता है, तीसरा इस प्रकार बायपास देख कर अन्य विभाग या कर्मचारी प्रेरित होते हैं और यह बढ़ता ही चला जाता है, मंदिर के निशुल्क दर्शनार्थियों को भी इससे बुरा महसूस होता है। मंदिर में प्रोटोकॉल दर्शन जिन विभागों के माध्यम से ज़्यादा होते हैं उनको इस संबंध में दिसंबर माह के अंत में ही पत्र जारी कर दिया गया था कि प्रोटोकॉल के नाम पर अन्य लोगों को दर्शन ना करायें और उस पर रोक लगायें। अब ये विभागों की ज़िम्मेदारी बनती है कि प्रोटोकॉल व्यवस्था का दुरुपयोग ना हो और जो लोग सुगम दर्शन कर सकते हैं उनको बिना कारण प्रोटोकॉल व्यवस्था ना दें।



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