बीएचयू संस्कृत विद्या धर्म विज्ञान संकाय में पंचांग संगोष्ठी में विद्वतजनो ने लिया भाग

काशी हिंदू विश्वविद्यालय स्थित संस्कृत विद्या धर्म विज्ञान संकाय के सभागार में एक दिवसीय पंचांग संगोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ मां सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यार्पण, पंडित मदन मोहन मालवीय की प्रतिमा पर माल्यार्पण और दीप प्रज्वलन के साथ हुआ। विभाग के छात्रों ने वैदिक मंगलाचरण और कुलगीत प्रस्तुत किया। कार्यक्रम में पहुंचे अतिथियों का स्वागत पुष्प गुच्छ देकर किया गया। इस मौके पर काशी से प्रकाशित होने वाले सभी पञ्चाङ्गकारों द्वारा संवत् २०८२ के प्रकाशित होने वाले पञ्चाङ्गों में एकरूपता हेतु वर्ष पर्यन्त के सभी व्रत-पर्वादि का परस्पर मिलान करते हुए गणितीय एवं धर्मशास्त्रीय आधार पर एकरूपता स्थापित करने का प्रयास किया गया। जिससे कि पञ्चाङ्ग से सम्बन्धित समस्त व्रत-पर्व-आदि में एकरूपता सम्पादित करते हुए ज्योतिष शास्त्र की मर्यादा को संरक्षित किया जा सके। 

काशी हिंदू विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डॉक्टर सुभाष पांडे और डॉक्टर विनय कुमार पांडे ने बताया कि भारतीय ज्योतिष शास्त्र अपनी उत्पत्ति काल से ही लोकोपकारक एवं लोक प्रसिद्ध शास्त्र रहा है। उत्सवधर्मी भारतीय समाज के व्रत-पर्व-उत्सव सहित सभी धार्मिक कृत्य भारतीय ज्योतिष के सिद्धान्तों पर आधारित पञ्चाङ्ग द्वारा ही निर्धारित एवं संचालित होते है। परन्तु सम्प्रति विभिन्न मतो/ सिद्धान्तों/विधियों से निर्मित पञ्चाङ्गों में गणितीय मानों की भिन्नता के कारण व्रत-पर्व आदि में बहुशः भेद दिखाई देने लगा है। जिससे ज्योतिष/ज्योतिषी एवं सनातन धर्म को लेकर समाज में अनास्था उत्पन्न हो रही है। इसको व्यवस्थित करने का दायित्व मुख्य रूप से वाराणसी के सभी पञ्चाङ्गकार बन्धुओं एवं विद्वज्जनों का ही है। क्योंकि कहीं भी धर्म एवं शास्त्र से सम्बन्धित भ्रान्ति उत्पन्न होने पर समग्र समाज काशी की ओर ही देखता है परन्तु वर्तमान में काशी से प्रकाशित पञ्चाङ्गों में भी गणितीय मानों की भिन्नता के कारण भेद दृष्टिगत है।


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