महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ में 'काशी में ज्ञानवापी' विषय पर आयोजित संगोष्ठी में पूर्व जिला जज अजय कृष्ण विश्वेश ने की शिरकत

महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के समिति कक्ष में प्रबोधिनी फाउंडेशन एवं प्रबुद्धजन काशी के संयुक्त तत्वावधान में 'काशी में ज्ञानवापी' विषयक एक दिवसीय संगोष्ठी एवं अजय कृष्ण विश्वेश पूर्व जिला जज के सम्मान में समारोह का आयोजन किया गया।कार्यक्रम का शुभारम्भ अजय व्यास, आशुतोष एवं रूद्र के वैदिक मंगलाचरण के साथ हुआ।कार्यक्रम में मुख्य अतिथि अजय कृष्ण विश्वेश ने कहा कि ज्यूडसरी सेवा अन्य सेवाओं से भिन्न होता है। यहां जो भी कार्य होता है उसे पत्रावली के आधार पर किया जाता है, यहां हर साक्ष्य का ध्यान रखना होता है और स्वयं के विवेक का प्रयोग करना होता है। जिससे न्याय को मूर्त रूप दिया जा सके।

ज्ञानवापी मामला सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद जिला न्यायालय में मेरे समक्ष आया।सर्वोच्च न्यायलय का निर्देश हमारे लिए जिम्मेदारी का बोध कराने वाला था। मैने दोनों पक्षो को पूरा सुनने के बाद साक्ष्यों के आधार पर ही कोई आदेश पारित किया। उन्होंने कहा कि ज्ञानवापी केस का फैसला पूर्णतः सत्यता व पारदर्शिता पर आधारित है। अपने पिता का जिक्र करते हुये कहा मेरे पिता की पूरी शिक्षा-दीक्षा बनारस में हुई। उनसे जब भी काशी की बात होती तो बड़े भावावेश में आ जाते थे। वो कहते थे यहाँ पर कंकर-कंकर में शंकर है। काशी तीनों लोकों से न्यारी है। कार्यक्रम में मुख्य वक्ता राजर्षि गांगेय हंस विश्वामित्र रहे। अध्यक्षीय उद्बोधन विद्यापीठ के कुलपति प्रो. आनंद कुमार त्यागी ने दिया। इस दौरान महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के ललित कला विभाग के अध्यक्ष डॉ. सुनील विश्वकर्मा जिन्होंने राम लला की मूर्ति का स्केच बनाया था। उनका सम्मान स्मृति चिन्ह एवं अंगवस्त्र देकर किया गया।विषय प्रस्तावना डॉ. नीरज सिंह ने एवं संचालन डॉ. संजय सिंह गौतम ने किया।


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