नौसिखिया कलाकार के कारण किसी नाटक का कितना नुकसान हो सकता है, इसका प्रमाण सोमवार को भारत रंग महोत्सव में दिखा। महोत्सव की चौथी शाम 'पर्दा उठाओ-पर्दा गिराओ' शीर्षक मंचित नाटक इसी विषय पर केंद्रित रहा।
कबीरचौरा स्थित राष्ट्रीय, नाट्य विद्यालय, काशी केंद्र के शाकुंतल सभागार में बनारस यूथ थियेटर के नाटक के ज्यादातर दृश्यों में ठहाके गूंजे। उपेंद्रनाथ अश्क के हास्य नाटक के बहाने गैर पेशेवर नाट्यकारों की चुनौतियों को बखूबी दर्शाया गया। एक नाट्य निर्देशक की असहाय स्थिति भी जीवंत हुई। बार-बार डायलॉग भूल जाने से नाटक का बंटाधार हो गया। नाटक में जबरन थोपे गए भीम के किरदार को पुष्कर रवि विशेष जीवंता प्रदान की। वहीं चोपदार के छोटे से किरदार में सत्येंद्र यादव ने प्रभावित किया। उत्कर्ष उपेंद्र सहस्त्रबुद्धे के निर्देशन में मंचित नाटक में अर्चना निगम, विशाल श्रीवास्तव, श्रुति, प्रतीक्षा, रोहन, अदिति, सार्थक, चाहत आदि ने प्रभावी अभिनय से बंधे रखा।