राष्ट्रीय कार्यशाला के दशम दिवस पर आज एपीग्राफिकल सोसाइटी ऑफ़ इंडिया के चेयरपर्सन एवं पांडुलिपि, पुरा लिपिशास्त्र विशेष डॉ रविशंकर श्रीनिवास का महत्वपूर्ण व्याख्यान आयोजित किया गया। डॉ रविशंकर ने प्रारंभ से लिपियों का उद्भव , विकास क्रम और उदवाचन से शुरुआत कर क्षत्रप लिपि तक अत्यंत सारगर्भित व्याख्यान प्रस्तुत किया ।
साथ ही प्रतिभागियों से कुषाण कालीन ब्राम्ही, क्षत्रप कालीन ब्राम्ही और गुप्त कालीन ब्राम्ही की विशेषताओं को बतलाते हुए, लेखन और वाचन का अभ्यास भी कराया। कार्यशाला की संयोजिका डॉ प्रियंका सिंह ने स्वागत भाषण दिया और आयोजन सचिव डॉ ज्ञानेंद्र नारायण राय ने पुष्पगुच्छ भेंट कर सम्मानित किया।
कार्यशाला में बांग्लादेश एवं श्री लंका से भी प्रतिभागी सम्मिलित हुए हैं चेयर पर्सन के रूप में प्रो सीताराम दुबे ,प्रो विजय शंकर शुक्ल,प्रो अनिर्वान दश,निदेशक , राष्ट्रीय पांडुलिपि मिशन, नई दिल्ली,प्रो टी एस रविशंकर,पूर्व अभिलेख शास्त्री आदि के द्वारा प्रतिभागियों को प्रशिक्षण दिया गया। डॉ प्रियंका सिंह, संयोजिका राष्ट्रीय कार्यशाला, चंदन कुमार आदि के द्वारा कार्यशाला की पूरी रूपरेखा बताई गई।