जखनि टड़िया राजातलाब मे नंदी शाला का प्रारंभ किया गया। इस संदर्भ में सात आठ हो रही है सुमेरु पीठ के पीठाधीश्वर शंकराचार्य नरेंद्रानंद ने कहा कि है गंगा तीरी भारतीय नस्ल के सांडो का संरक्षण हो जिसको हम नंदी कहते हैं। नंदी भगवान शिव का वाहन है,अजन्मा है ,आनादी है।
व्यावहारिक धरातल पर उन्हें शिलादि पुत्र कहा जाता है। यदि शिव से कोई काम करना है। तो नदी के दाहिने मुख पर भक्त अपनी कामना इच्छा व्यक्त करते थे और भोलेनाथ इसकी कामना को पूरी करते थे। पृथ्वी के धारण रक्षण संवर्धन मे पहला स्थान गाय का है। गायों का संवर्धन हो संरक्षण हो और नस्ल सुधार हो इसके लिए नंदी शाला का प्रारंभ किया जा रहा है।
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