महाशिवरात्रि संगीत महोत्सव की अंतिम संध्या की शुरूआत प्रो. संगीता सिंह ने संगत कलाकारों के साथ बाबा को पंच वाद्य यंत्रों के सुरों की श्रद्धा से अभिषेक किया। सितार, पखावज, तबला, वायलिन और बांसुरी की संगत ने महादेव के 108 नामों को सुरों में पिरोकर पूरा माहौल शिवमय कर दिया। श्री काशी विश्वनाथ धाम में तीन दिवसीय महाशिवरात्रि संगीत महोत्सव का भावपूर्ण समापन हुआ। पं. गणेश मिश्रा ने भगवान शिव को होली सुनाई तो पूरा माहौल होलियाना रंगों में डूबता-उतराता रहा। पंच वाद्य यंत्रों पर भगवान शिव के 108 नाम की प्रस्तुति के सम्मोहन में बंधे श्रोताओं का जयकारा सौंदर्या के शिवतांडव तक अनवरत जारी रहा।
बुधवार को महाशिवरात्रि संगीत महोत्सव की अंतिम संध्या की शुरूआत प्रो. संगीता सिंह ने संगत कलाकारों के साथ बाबा को पंच वाद्य यंत्रों के सुरों की श्रद्धा से अभिषेक किया। सितार, पखावज, तबला, वायलिन और बांसुरी की संगत ने महादेव के 108 नामों को सुरों में पिरोकर पूरा माहौल शिवमय कर दिया। इसके बाद मां दुर्गा स्तोत्र और बाबा को होरी पेश किया। संगत में रहे तबले पर आशीष, पखावज पर वैभव राम, वायलिन पर अर्जुन कुमार, बांसुरी पर सुधीर कुमार गौतम रहे। इसके बाद अगली प्रस्तुति डॉ. मधुमिता भट्टाचार्या की रही। उन्होंने संगत कलाकारों के साथ बाबा को एक होली सुनाई और शिव भजन गाया। कार्यक्रम की तीसरी प्रस्तुति में पं. गणेश मिश्र ने मंच संभाला। उन्होंने गायन की शुरूआत शंकरा राग में एक ताल में निबद्ध शंकर महादेव देव...से की तो पूरा प्रांगण हर-हर महादेव और जय श्रीराम के जयघोष से गूंजने लगा।