संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के स्थापना दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में विशिष्टजनो संग तीन कुलपति ने लिया हिस्सा

संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के 67वें स्थापना दिवस पर बुधवार को शक्ति समाराधन और अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन हुआ। मुख्य भवन में विश्वविद्यालय और इंटरनेशनल चंद्रमौलि चैरिटेबल ट्रस्ट की तरफ से आयोजित संगोष्ठी में तीन कुलपति मंचासीन थे।

'सनातन परंपरा और विश्वगुरू भारत' विषयक संगोष्ठी में केंद्रीय उच्च तिब्बती शिक्षण संस्थान के कुलपति प्रो. वांगचुक दोर्जे नेगी ने कहा कि वैश्विक परिवार की अवधारणा भारत की पुरातन संस्कृति का हिस्सा रही है। मुख्य अतिथि काशी विद्यापीठ के कुलपति प्रो. आनंद कुमार त्यागी ने कहा कि मानव जीवन की दो भावनाएं हैं, स्वार्थ और परहित भावना। परहित. की भावना हृदय को उज्ज्वल कर विशाल बना देती है। अध्यक्षीय उद्बोधन में संस्कृत विवि के कुलपति प्रो. बिहारी लाल शर्मा ने कहा कि भारतीय ज्ञान परंपरा को वैश्विक स्तर पर प्रतिष्ठित करना है। कार्यक्रम में इटली से डॉ लूसी गेस्ट, स्पेन से मारिया लुइस, डॉ. एंटीनोला, म्यामांर से डॉ रामचंद्र आदि ने भी विचार रखे। संचालन प्रो. हरिशंकर पांडेय ने किया।

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