चक्रपुष्करिणी कुंड में अक्षय तृतीया के अवसर पर होगा मां मणिकर्णिका वार्षिक श्रृंगार, अगले दिन के स्नान के लिए शुरू हुई तैयारी

गंगा से भी प्राचीन चक्रपुष्करिणी कुंड का स्नान 11 मई को होगा। गंगा गोमुख की मान्यता वाले कुंड में स्नान करके चारों धाम का पुण्य कमाने के लिए पूर्वांचल के जिलों से श्रद्धालुओं का रेला उमड़ेगा। अक्षय तृतीया पर 10 मई को होने वाले वार्षिक श्रृंगार और दूसरे दिन होने वाले स्नान के लिए तैयारियां शुरू हो गई हैं।

काशी के प्राचीन तीर्थ चक्रपुष्करिणी पर मणिकर्णिका देवी का वार्षिक श्रृंगार अक्षय तृतीया पर 10 मई को रात्रि में होगा। अक्षय तृतीया पर मणिकर्णिका मां की सवारी ब्रहमनाल स्थित तीर्थ पुरोहित जयेंद्रनाथ दुबे बब्बू महाराज के आवास से निकलेगी। रात में मणिकर्णिका माई की अष्टधातु वाली ढाई फीट ऊंची प्रतिमा तीर्थ कुंड स्थित 10 फीट ऊंचे पीतल के आसन पर स्थापित की जाएगी। 

इसके बाद देवी की फूलों व नए वस्त्रों से झांकी सजाई जाएगी। 11 मई को मध्याह्न में चक्रपुष्करणी कुंड में स्नान होगा। प्रधान तीर्थ पुरोहित जयेंद्र नाथ दुबे बब्बू महाराज ने बताया कि इस तिथि पर चक्रपुष्करणी कुंड में स्नान करने से चारों धाम का फल प्राप्त होता है। मणिकर्णिका कुंड से ही निकली थी प्रतिमाः मान्यता है कि मणिकर्णी माई की अष्टधातु की प्रतिमा मणिकर्णिका कुंड से ही निकली थी। 

यह प्रतिमा वर्षभर ब्रह्मनाल स्थित मंदिर में विराजमान रहती है। अक्षय तृतीया पर पालकी पर सवार होकर कुंड में स्थापित की जाती है। देवी की प्रतिमा को कुंड में स्नान कराया जाएगा फिर सवारी निकलेगी और देवी वापस ब्रह्मनाल स्थित मंदिर में विराजमान हो जाएंगी। मान्यता है कि मणिकर्णिका माई के स्नान के बाद तीर्थ कुंड का जल अगले एक वर्ष के लिए सिद्ध हो जाता है।

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