काशी हिंदू विश्वविद्यालय में हाल ही में डेरी फार्म, प्रिंटिंग प्रेस और एरोड्रम को बंद करने की खबर के बाद विश्वविद्यालय के छात्र, अध्यापक और कर्मचारियों में भारी आक्रोश देखा जा रहा है। इन सभी ने कुलपति के प्रति नाराजगी व्यक्त की है।विभिन्न संगठनों का आरोप है कि विश्वविद्यालय में बड़े पैमाने पर पेड़ों की कटाई हो रही है और कुलपति ने तक विद्त परिषद (EC) का गठन नहीं किया है, जिससे उनकी हिटलरशाही साफ झलकती है। छात्रों की फीस बढ़ाने को लेकर भी नाराजगी है।इन्हीं मुद्दों के खिलाफ आज विश्वविद्यालय के छात्रों ने बड़े पैमाने पर आक्रोश मार्च का आयोजन किया, जिसमें सभी छात्र संगठन शामिल थे। मार्च मालवीय भवन से शुरू होकर सिंह द्वारा तक निकाला गया। छात्रों के हाथों में तख्तियां और पोस्टर थे, जिन पर नारे लिखे गए थे।महिला महाविद्यालय चौराहे पर आयोजित सभा में काशी हिंदू विश्वविद्यालय के पूर्व उपाध्यक्ष डॉ. अरविंद शुक्ला ने कहा, BHU के कुलपति की तानाशाही नहीं चलने दी जाएगी और उन्हें अपनी गलती का खामियाजा भुगतना पड़ेगा। गो संरक्षण एक सरकारी उपक्रम है और कुलपति अपनी तानाशाही दिखा रहे हैं, जो कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
शोध छात्र अभिषेक सिंह काली ने कहा, "इस बेलगाम कुलपति को वापस जाना पड़ेगा और छात्र उनकी मंशा पर पानी फेरेंगे।"अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के इकाई अध्यक्ष प्रशांत राय ने कहा, "वर्तमान कुलपति बेलगाम हो गए हैं और उन्हें कल्याण आंदोलन का सामना करना पड़ेगा। सभी छात्र संगठन इसके लिए कमर कस कर तैयार हैं।"NSUI के रोहित राणा ने कहा, "सरकार छात्र विरोधी है और शिक्षा का निजीकरण कर रही है, इसलिए कुलपति विश्वविद्यालय को बेचने पर तुले हुए हैं। हम इसके खिलाफ लगातार आंदोलन करेंगे।"कुंवर पुष्पेंद्र प्रताप सिंह ने कहा, "विश्वविद्यालय की धरोहर बचाने के लिए हम हर तरह से लड़ाई लड़ने को तैयार हैं और कुलपति के तानाशाही रवैये के खिलाफ आंदोलन जारी रहेगा।"इस आक्रोश मार्च में डॉ. अवनिंद्र राय, शुभम तिवारी, डॉ. चक्रपाणि ओझा, वैभव तिवारी, अधोक्षज पांडे, गोपाल सिंह, विवेक सिंह, अभिषेक, समेत हजारों की संख्या में छात्र, अध्यापक और कर्मचारी मौजूद रहे।