श्री हनुमान प्रसाद पोद्दार अंध विद्यालय में बड़ी संख्या में पहुंचे भक्तों ने सुना आध्यात्मिक प्रवचन

श्री हनुमान प्रसाद स्मृति सेवा ट्रस्ट में चल रहे आध्यात्मिक प्रवचन की श्रृंखला के सातवे दिन जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज की प्रमुख प्रचारिका धामेश्वरी देवी ने वेदों के अनुसार संसार के स्वरूप को स्पष्ट किया। उन्होंने बताया कि वास्तव में दो प्रकार का संसार होता है एक भीतर का संसार, दूसरा बाहर का संसार। कुछ ज्ञानी लोग कहते हैं कि संसार मिथ्या है और कुछ कहते हैं कि संसार सत्य है यह दोनों बातें वेदों शास्त्रों के अनुसार सही सिद्ध हो जाती है। वास्तव में हमारे मन में काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार आदि माया के विकार होते हैं। साथ ही मन सतोगुणी, रजोगुणी और तमोगुणी, तीन तरह की माया के अधीन रहता है इसी कारण हमारे मन के विचार प्रतिक्षण बदलते रहते हैं ।

यह भीतर का संसार हमारे लिए ज्यादा खतरनाक होता है क्योंकि जैसे मानसिक विचार होते हैं वैसे ही व्यक्ति की प्रवृत्तियां हो जाती है कोई सतोगुणी, कोई रजोगुणी तो कोई तमोगुणी दिखाई पड़ता है। इसके विपरीत बाहर का संसार हमारे भौतिक शरीर को चलाने के लिए ईश्वर द्वारा बनाया गया है। बाहरी संसार सत्य है क्योंकि वह सदैव समान बना रहता है पंचतत्व का हमारा शरीर, पंचतत्व के बने इस सत्य संसार से ही ठीक ठीक चलता है। देवी जी ने बताया कि कोई भी संसारी विचार मन में आते ही मन को वहां से हटाकर तुरंत भगवान में लगाना है। संसार से मन हटाना और भगवान में मन लगाना, निरंतर इसका अभ्यास करना होगा तभी अनादिकाल से संसार में आसक्त मन धीरे-धीरे भगवान में लगने लगेगा और वास्तविक गुरु की कृपा से मन पूर्ण रूप से भगवान के शरणागत हो जाएगा।

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