गंगा में बढ़ता प्रदूषण और घटता जलस्तर बना चिंता का विषय

गंगा में 2 करोड़ 90 लाख लीटर से ज्यादा प्रदूषित कचरा हर रोज गिर रहा है। नाली और नाले का पानी, कारखानों से फैल रहा गंगा में जहर यह सभी अलग है। कई वैज्ञानिकों के अनुसार गंगा का पानी फसलों की सिंचाई करने के योग्य भी नहीं है। फिर भी पूरे देश में गंगा का जल बेचा जाता है।

गंगा, गोदावरी, नर्मदा समेत देश की 12 प्रमुख नदियों में पानी पिछले साल की तुलना में कम है. दक्षिण भारत की 13 नदियों में तो पानी है ही नहीं. इस बार गर्मी भी बहुत ज्यादा पड़ रही है. जब तक बारिश होगी, तब तक देश में पानी को लेकर हाहाकर मच जाएगा. अधिकांश नदियों के बेसिन में 40 फीसदी से कम जल भंडारण देखने को मिला है.गंगा, ब्रह्मपुत्र, सिंधु, पेन्नार, नर्मदा, तापी, साबरमती, गोदावरी, महानदी, कावेरी... इन नदियों में तेजी से घट रहा है पानी. पिछले साल की तुलना में इन नदियों में कम पानी बचा है. चिंता तो गंगा को लेकर है. जो 11 राज्यों के 2.86 लाख गांवों को सिंचाई और पीने के लिए पानी देती है. 

केंद्रीय जल आयोग (CWC) के विश्लेषण के बाद यह बात सामने आई है. भारत के 150 प्रमुख जलाशयों में पानी जमा करने की उनकी कुल क्षमता से 36% कम पानी है. 86 जलाशयों में पानी 40% या उससे कम पानी है. हर साल गर्मी की तीव्रता बढ़ती नजर आती है. पिछले साल के मुकाबले इस  साल जून में  गर्मी बहुत देखने मिल रही है जिससे कई सालों का रिकॉर्ड टूट गया है जिस कारण गंगा का पानी भी सूखता जा रहा है, यह देख वैज्ञानिकों की चिंता बढ़ गई है.

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