काशी भारत की प्राचीनतम और सांस्कृतिक नगरी है,यूँ तो काशी में प्रत्येक देवता की पूजा होती है लेकिन यहाँ के नगरवासियों के प्रिय आराध्य देव भगवान् भोलेनाथ हैं। जिनके नाम का जप यहाँ के लोग एक दुसरे से मिलते जुलते या अपनी किसी भी खुशी को व्यक्त करने के साथ ही हर हर महादेव के जयघोष के रूप में कर लेते हैं।
वाराणसी के दक्षिणी छोर पर स्थित कन्दवा पोखरे के किनारे बसा कर्दमेश्वर महादेव मंदिर काशी के प्राचीन शिव मंदिरों में बहुत ही महत्वपूर्ण है| जिसका उल्लेख काशी खंड और पंचक्रोशी महात्म्य में मिलता है | काशी की धार्मिक और महत्वपूर्ण पंचक्रोशी यात्रा का यह प्रथम विश्रामस्थल भी है | जहाँ भक्त अपनी पंचक्रोशी यात्रा के दौरान एक दिन विश्राम करते हैं।
वही कर्मदेश्वर महादेव मंदिर जहां सावन के पहले सोमवार को सुबह से ही भक्तों का ताता लगा रहता है वही मंदिर प्रांगण से 30 से 40 मीटर की दूरी पर सीवर का गंदा पानी बहा रहा है यहा सावन मे काफी भक्त आते है सीवर का पानी सड़क पर बहने के चलते लोगो को काफी समस्या हो रही है। लोगों को इसी सीवर के पानी से होकर गुजरना पड़ रहा है ।