काशी के लक्खा मेले में शुमार तीन दिवसीय रथयात्रा मेले की शुरुआत रविवार से हो गयी। भोर में ही भगवान जगन्नाथ, भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के खास काष्ठ विग्रह को अष्टकोणीय रथ पर विराजमान कराया गया। फिर विग्रहों को पीतांबर वस्त्र धारण कराया गया। स्वर्ण मुकुट एवं आभूषण पहनाने के साथ बेला, गुलाब, चंपा, चमेली, तुलसी की मालाओं से अलौकिक श्रृंगार किया गया।
परिक्षेत्र में भोर से ही रौनक देखने को मिली। बड़ी संख्या में भक्त प्रभु जगन्नाथ के दर्शन को पहुंचे और प्रभु का रथ स्पर्श करके निहाल हो उठे श्रद्धालुओं ने विशेष रूप से तुलसी की माला नानखटाई इत्यादि का भोग प्रभु को अर्पित किया। बाबा काशी विश्वनाथ की नगरी प्रभु जगन्नाथ की भक्ति में लीन नजर आई।
बता दे की भक्तों के अतिशय प्रेम में स्नान के बाद प्रभु बीमार हो जाते हैं और 14 दिनों तक भक्तों को दर्शन नहीं देते हैं इन 14 दिनों के काल में प्रभु को कड़े का भोग लगाया जाता है कड़े के भोग लगे के उपरांत प्रभु स्वस्थ हो जाते हैं और भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के साथ स्वस्थ होने के बाद नगर भ्रमण पर डोली में सवार होकर निकलते हैं गलियों में भक्तों को दर्शन देने के बाद प्रभु रथारुढ़ होते हैं और तीन दिनों तक भक्तों को यही दर्शन देते हैं। इस मौके पर जहां एक और मेला परिक्षेत्र में विभिन्न दुकानें सजी रहे तो वही प्रभु के जयकारों से पूरा क्षेत्र गूंजायमान रहा।
वही नमामि गंगे व पतंजलि योगपीठ के संयुक्त तत्वावधान में रथयात्रा मेले के पहले दिन रथारूढ़ भ्राता बलभद्र, भगिनी सुभद्रा सहित भगवान जगन्नाथ की भव्य आरती उतारी गई।
नमामि गंगे के जिला संयोजक शिवम अग्रहरि के संयोजन में भगवान जगन्नाथ को मिश्री, नान खटाई, पंचमेवा का भोग अर्पित कर तुलसी की माला व पुष्पहार चढ़ाया गया।सभी ने कीर्तन करते हुए भव्य आरती उतारकर गंगा निर्मलीकरण, आरोग्य सुख समृद्धि की कामना की।भक्तों में प्रसाद वितरण किया गया।कार्यक्रम में नमामि गंगे जिला संयोजक शिवम अग्रहरि, महानगर सहसंयोजक रामप्रकाश जायसवाल, रेनू जायसवाल, जय विश्वकर्मा आदि लोग उपस्थित रहे।