वाराणसी पुलिस कमिश्नर मोहित अग्रवाल ने मृतक आश्रित फाइल दबाने वाले दरोगा को निलंबित कर दिया। कमिश्नरेट में मृतक आश्रित पत्रावलियों के निस्तारण में लापरवाही बरतने के बाद उसके खिलाफ विभागीय जांच भी शुरू हो गई है। कार्यालय में मृतक आश्रितों की फाइल देखने वाल लिपिक (दरोगा) भी पिता की मौत पर मृतक आश्रित में नौकरी पाया है।मंगलवार को मृतक आरक्षी की पत्नी ने पुलिस कमिश्नर से मुलाकात कर शिकायत दर्ज कराई। बताया कि उसके पति स्वर्गीय हेमंत कुमार आरक्षी थे और डयूटी के दौरान 10 महीने पर पहले उसकी मौत हो गई। मृत्यु उपरांत सभी दस्तावेज के साथ पत्रावली जमा कराई और पिछले 6 माह से अपनी मृतक आश्रित भर्ती से संबंधित फाइल के लिये दरोगा (लिपिक) राज किशोर के पास चक्कर लगा रही है, उसकी पत्रावली दरोगा राजकिशोर आगे नहीं भेज रहे।
मामले की जानकारी के बाद पुलिस आयुक्त ने मृतक आरक्षी हेमन्त कुमार की पत्रावली को तलब किया तो सारी प्रक्रिया दिसंबर में पूर्ण थी। दस्तावेज की जांच में पता चला कि सभी कागज पूरे हैं और पुलिस उपायुक्त मुख्यालय ने मृतक आश्रित सेवा की संस्तुति भी कर दी है। सारी प्रक्रिया के बाद भी किन्ही कारणों से पत्रावली पुलिस मुख्यालय लखनऊ प्रेषित नही की गई। नौ मृतक आश्रितों की फाइल दबाए बैठा था दरोगासीपी की जांच में दरोगा (लिपिक) राजकिशोर के पास कई मृतक आश्रितों की फाइलें मिली। केवल हेमंत कुमार ही नहीं बल्कि मृतक आश्रित सेवायोजन से जुड़ी नौ फाइलें उसकी टेबल पर मिलीं7 इन सभी 9 मृतक आश्रितों की समीक्षा की गई तो सारी प्रक्रिया पूरी थी। दरोगा राजकिशोर ने इनको अपने पास रखा था और आवेदकों को बहाने बताकर लौटा देता था। इन सभी फाइलों पर कमिश्नरेट स्तर से सभी कार्रवाई पूरी की जा चुकी थी। पुलिस कमिश्नर ने लिपिक दरोगा राजकिशोर को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया और सभी फाइलों को मुख्यालय भेजने के लिए एसीपी को जिम्मेदारी दी।