संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के प्रथम कुलपति पद्मविभूषण डॉ. आदित्यनाथ झां की मनी जयंती

मैथिल समाज,उत्तर प्रदेश एवं तुलनात्मक धर्म दर्शन विभाग,समपूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में समपूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय के प्रथम कुलपति पद्मविभूषण डा आदित्यनाथ झा की 113 वीं जयंती समारोह विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो.बिहारी लाल शर्मा की अध्यक्षता में योग साधना केन्द्र में समपन्न हुआ। 

समारोह की शुरुआत आगत अतिथियों द्वारा डा आदित्यनाथ झा के चित्र पर पुष्पांजलि और दीप प्रज्ज्वलन करके हुआ। तत्पश्चात समारोह की अध्यक्षता कर रहे समपूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो बिहारी लाल शर्मा को पाग,आदित्यनाथ का चित्र माला और दुपट्टा पहनाकर मैथिल समाज के अध्यक्ष निरसन कुमार झा ने सम्मानित किया। मुख्य वक्ता के पद से बोलते हुए वर्धा हिन्दी विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. रजनीश शुक्ला ने कहा की होनहार पूत के पांव पालने में ही दिख जाते है। गंगानाथ झा के चार बेटों में डा आदित्यनाथ सबसे छोटे थे तभी इनकी माँ ने भविष्यवाणी कर दी थी कि बड़ा होकर मेरा बेटा कलेक्टर बनेगा जो आगे चलकर सत्य साबित हुआ। आदित्यनाथ झा की प्रशासनिक दक्षता कमाल की थी। इसलिए तत्कालीन मुख्यमंत्री समपूर्णानन्द ने उन्हें विश्वविद्यालय का कुलपति बनाया।एएन झा के भगीरथ प्रयास का ही कमाल है की विश्वविद्यालय आज ऐसे आधुनिक स्वरूप में है। सच्चे अर्थों में आधुनिक समपूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय की नींव आदित्यनाथ झा ने रखी थी। 

मुख्य अतिथि पद से बोलते हुए काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के धर्म मीमांसा विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो शंकर कुमार मिश्र ने कहा की आदित्यनाथ झा के जीवन में प्रथम शब्द का महत्वपूर्ण स्थान था। तत्कालीन आईसीएस परीक्षा में जो आज आईएएस है उसमें पुरे भारत में प्रथम स्थान प्राप्त किया था। समारोह का संचालन प्रो हरि प्रसाद अधिकारी ने किया। संयोजन निरसन कुमार झा ने तथा विषय स्थापना गौतम कुमार झा एडवोकेट ने किया। स्वागत सुधीर चौधरी ने और धन्यवाद भोगेन्द्र झा ने किया। समारोह में प्रमुख रूप से बीएचयू हिन्दी विभाग से डा अशोक ज्योति,प्रो सुधाकर मिश्र, डा अत्रि भारद्वाज,डा संजय अग्रवाल, डा कमलेश झा,मनोज मिश्र,हरिमोहन पाठक आदि लोग उपस्थित थे।





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