संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय का 42 वां दीक्षांत समारोह सकुशल संपन्न हुआ। राज्यपाल की घोषणा के साथ महोत्सव की शुरुआत हुई । कुल 13,733 उपाधियां डिजीलॉकर पर अपलोड हो गई। इस दौरान गेस्ट हाउस का शिलान्यास किया गया। कुलपति ने अपना स्वागत भाषण संस्कृत भाषा में दिया। कहा कि जल्द ही यहां शिक्षा शास्त्र विभाग की बिल्डिंग का निर्माण होगा।
वहीं दीक्षांत के मंच संचालन से लेकर विभागाध्यक्षों का परिचय भी संस्कृत में ही हुआ। 17 विभागों के अध्यक्षों और छह डीन ने संस्कृत में पोडियम पर अपने अंडर में पीएचडी करने वालों को उपाधि देने के लिए स्नातकों का उपस्थापन किया। राज्यपाल और विश्विद्यालय की कुलाधिपति आनंदी बेन पटेल ने दीक्षांत स्थल ऐतिहासिक मुख्य भवन में दक्षिणी द्वार से प्रवेश किया। दीक्षांत परिधान गले में डालकर राज्यपाल और दीक्षांत समारोह की शिष्ट यात्रा मंच तक पहुंची। संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय में 13733 छात्र और छात्राओं को शास्त्री, आचार्य और पी एचडी की उपाधियां दी गयी।
इसके साथ ही 31 मेधावियों को 56 मेडल दिए गए। जिसमें 54 गोल्ड, एक सिल्वर और एक ब्रॉन्ज मेडल शामिल है। दीक्षांत समारोह में आचार्य की टॉपर टुम्पा रॉय को छह गोल्ड मेडल और एक सिल्वर मेडल दिया गया। टुम्पा ने कहा कि वो प्रोफेसर और कुलपति बनना चाहती हैं। निंबार्क वेदांत से उन्होंने आचार्य की डिग्री ली। उनकी इस उपलब्धि के पीछे उनकी माता और स्वर्गीय पिता का सबसे बड़ा रोल है। पिता चाहते थे कि बड़ी होकर बेटी आचार्य बने।