काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के कार्यकारिणी द्वारा 21 अप्रैल 2015 में गठित भारतरत्न महामना मालवीय जी के नाम पर चलने वाला एक मात्र वर्किंग गंगा सेंटर को काल्पनिक सेंटर बताकर बिना किसी जांच पड़ताल किए बिना ही उसे 24 अगस्त 2024 को बंद कर दिया गया। सूत्रों के अनुसार गंगा शोध केन्द्र को बंद करने में विश्वविद्यालय के नियमों को अनदेखा किया गया, जबकि अन्य सेंटर को बंद करने से पहले दो से तीन कमेटी बनाई गई जिसमे जमीनी स्तर पर 6 माह तक अलग-अलग रिपोर्ट लिया गया और फिर एकेडमी काउन्सिल के मिटिंग में बंद होने का निर्णय लिया गया।
गंगा शोध केन्द्र के विशेषरूप से प्रशिक्षित ईको स्किल्ड गंगामित्रों में खर्च हुआ धन निरर्थक साबित कर मां गंगा के हर पहलू को कम्यूनिटी स्तर तक पहुंचने का कार्य भी अवरोध कर दिया गया है। इस निर्णय से केन्द्र से वर्ष 2017 से लगातार कार्यरत तकनीकी प्रशिक्षित प्राप्त 700 गंगामित्र एवं प्रयागराज से बलिया तक 7 जिलों में जल संरक्षण समितियों में कार्यकर्ता एवं शोसलवर्कर के रूप कार्यरत 30,000 जल संरक्षक की नेटवर्किंग का ध्वस्त कर देने का निर्णय लिया है।
गंगामित्र कॉर्डिनेटर धर्मेंद्र पटेल ने बताया कि हम सभी गंगामित्र लगातार 6 वर्षो से गंगा स्वच्छता अभियान, गंगा जागरूकता करते आ रहे है । लेकिन अचानक गंगा सेंटर जो महामना मालवीय जी के नाम से लगातार चल रहा था उसे बिना नोटिस और जाँच के बंद करने का आदेश बीएचयू प्रशासन द्वारा दिया गया है। जिससे हम सभी गंगामित्र परिवार में एक हताशा बन चुका हैं । उन्होंने ये भी बताया की इस अभियान से जुड़े लाखों गंगासेवियों को आघात पहुंचा है जो गंगा से जुड़े लोगों में जनाक्रोश का कारण बन रहा है।वही इस दौरान गंगा मित्रो ने चीफ प्रोक्टर को इस संबंध में ज्ञापन सौंपा ।