मोहर्रम का आखिरी साठे का जुलूस अकीदत के साथ उठा, बड़ी संख्या में जायरीन हुए शामिल

गुरुवार को दाल मंडी स्थिर शब्बीर सफदर के आवास से साठा का जुलूस उठाया गया। यह मोहर्रम का आखिरी जुलूस होता है जुलूस में ताबूत आलम दुलदुल ऊंट पर अली असगर का झूला जनाबे सकीना का कपड़ा यह दिखाया जाता है 28 रजब इस्लामी तारीख 60 हजरत इमाम हुसैन अली सलाम ने अपने पूरे परिवार के साथ मदीना छोड़कर कर्बला के लिए रवाना हुए थे ।

उस वक्त का हकीम यजीद ने कर्बला में घेर कर हजरत इमाम हुसैन के पूरे कुनबे को कर्बला के सर जमीन पर शहीद कर दिया और हजरत इमाम हुसैन ने अपनी शहादत देकर इस्लाम के परचम को बुलंद किया कर्बला के मैदान पर यह जुलूस दर्शाता है जुलूस में लियाकत अली शराफत हुसैन और उनके साथी नोहा  ख्वानी करते चल रहे थे । इसमें कई जगह मौलाना इरशाद अब्बास अपनी तकरीर करते हुए चल रहे थे। जुलूस दाल मंडी नई सड़क फाटक शेख सलीम काली महाल पितरकुंडा होते हुए फातमान पहुंचकर समाप्त हुआ ।

जुलूस काली महाल पहुँचने पर मौलाना नदीम असगर ने तकरीर किया और जुलूस का इस्तकबाल किया इस मौके शायर शाद शिवानी कर्बला के  शहीदों की याद में कलम पढ़ा ।  वहीं पितर कुंडा पर जुलूस पहुंचने पर मौलाना इरशाद अब्बास ने अपने तकरीर में कहा हजरत इमाम हुसैन ने अपनी कुर्बानी देकर दुनिया को अहिंसा का पाठ पढ़ाया वही अंजुमन  जववादिया ने जुलूस का ईस्तकबाल किया।



Post a Comment

Previous Post Next Post