भाद्रपद शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को भगवान स्कन्द की तारकासुर पर विजय की एवम् द्वापर युग में श्री हरि कृष्ण के बड़े भाई शेषावतार भगवान बलभद्र के प्राकट्य की तिथि के रूप में मनाया जाता है। शैव मत में स्कन्द छठी तथा ब्रज में बलभद्र छठी के रूप में यह सनातन तिथि उत्सव पूर्वक अनुष्ठान से मनाई जाती है। इसी तिथि पर माता ललिता षष्ठी भी मनाई जाती है। श्री काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास द्वारा समस्त सनातन पर्वों को समारोह पूर्वक आयोजित किए जाने के पुण्य संकल्प के अनुपालन में श्री काशी विश्वनाथ धाम में विशिष्ट पूजन अनुष्ठान संपन्न किए गए।
इस अवसर पर ललिता घाट पर स्थित भगवान स्कन्द के विग्रह पर आराधना संपन्न की गई। साथ ही भगवान शेषनाग की आराधना के द्वारा बलभद्र प्राकट्य उत्सव भी संपन्न किया गया। प्रतिदिन श्री विश्वेश्वर के आरती श्रृंगार में भगवान शेषनाग के रजत छत्र से महादेव के साथ शेषनाग की उपस्थिति श्री काशी विश्वनाथ मंदिर में दर्शायी जाती है।
इस उत्सव आयोजन में श्री काशी विश्वनाथ धाम में ललिता घाट स्थित स्कंद भगवान के विशाल विग्रह पर समारोह पूर्वक पूजन संपन्न कर भगवान शेषनाग की शोभायात्रा मंत्रोच्चार एवम शंखनाद के साथ निकाली गई। पूजन एवं शोभायात्रा में न्यास के अर्चक गण, शास्त्री गण, न्यास के अधिकारी एवं कार्मिक तथा काशीवासियों सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु सम्मिलित हुए।